सीजी क्रांति/खैरागढ़। विधानसभा उपचुनाव का परिणाम आने के बाद खैरागढ़ की राजनीतिक फिजा बदल जाएगी। कांग्रेस की जीत हुई तो यशोदा के रूप में खैरागढ़ विधानसभा को एक चेहरा मिल जाएगा। अगले विधानसभा के आम चुनाव के लिए उनकी दावेदारी पुख्ता हो जाएगी। राजपरिवार का राजनीतिक वर्चस्व को करारा झटका लगेगा। भाजपा ने बाजी मारी तो कोमल जंघेल राजनांदगांव जिले के स्थापित व बड़े नेता के रूप में स्थापित हो जाएंगे।
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जिले में डॉ. रमन सिंह के बाद वे दूसरे भाजपा विधायक होंगे। कोमल की जीत भाजपा के लिए संजीवनी साबित होगी। वहीं कांग्रेस को बड़ा नुकसान तो नहीं होगा। लेकिन भाजपा अपनी जीत को अगले आम चुनाव तक कांग्रेस के लिए नकारात्मक हवा तैयार करने में उपयोग करेगी। भाजपा प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर हमला तेज कर देगी।
हालांकि मतदान के बाद जो रूझान सामने आ रहे हैं, उसमें कांग्रेस का पलड़ा भारी लग रहा है! खैरागढ़ को जिला निर्माण की घोषणा के बाद लोग कांग्रेस से आकर्षित नजर आ रहे हैं। इसे आधार मान कर चलें तो कोमल जंघेल की यह अंतिम पारी होगी।
अब सवाल यह उठता है कि कोमल जंघेल के बाद खैरागढ़ विधानसभा में कौन….? कोमल के बाद सबसे प्रभावशाली नाम व चेहरा विक्रांत सिंह का आता है। कोमल की हार की स्थिति में विक्रांत समर्थक उन्हें अगले आम चुनाव के लिए प्रबल दावेदार मानकर चल रहे हैं। हालांकि यह चर्चा पिछले तीन चुनाव से चला आ रहा है। विक्रांत सिंह के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा उनका पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का भांजा होना है। वहीं विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के लिए विक्रांत समर्थकों पर शंका होना, भी विक्रांत सिंह की छवि को धूमिल करता रहा है।
हालांकि विक्रांत सिंह ने इस बार कई दफे सार्वजनिक मंचों पर अपने समर्थकों को उन्हें टिकट न मिलने के बाद निराशा और गुस्से को खत्म कर पार्टी के लिए कमर कसकर भाजपा को जीताने की अपील करते रहे हैं। हालिया चुनाव में पार्टी संगठन व आरएसएस ने स्थानीय स्तर पर पार्टी नेता व कार्यकर्ताओं पर नजर बनाए रखा। भाजपा ने खैरागढ़ विधानसभा चुनाव को पूरी शिद्दत से लड़ा है। जीत हुई तो बल्ले—बल्ले। हार हुई तो भीतरघातियों पर घात लगाकर सही समय आने पर वार किया जाएगा।