सीजी क्रांति/खैरागढ़। मनरेगा योजना के तहत संविदा में कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा वेतन वृद्धि एवं घोषणा पत्र के अनुसार स्थायीकरण करने की मांग को लेकर अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने ज्ञापन में बताया है कि लोकसभा एवं राज्यसभा में कांग्रेस सरकार द्वारा बिल पारित कर मनरेगा अधिनियम 2005 को सभी राज्यों में प्रारंभ किया गया था। जिसके कुशलतापूर्वक संचालन के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में लगे मनरेगा संविदा अधिकारी/कर्मचारियों को काम करते हुए आज 15 वर्ष पूर्ण हो गया है। इस दौरान कई अधिकारी / कर्मचारियों की उम्र 40 वर्ष से अधिक हो गई है। वही आज भी स्थायीकरण की आस लगाए हुए निरंतर मनरेगा में अपनी ईमानदारी एवं निष्ठापूर्वक सेवाएं दे रहें हैं। साथ ही मनरेगा में मजदूरों को 100 दिन की रोजगार की गारंटी इस एक्ट के तहत् दिया गया है। प्रतिवर्ष मजदूरी दर में वृद्धि की जाती है। जब कि मनरेगा में कार्यरत संविदा अधिकारी / कर्मचारियों की सेवाओं की गारंटी शासन द्वारा नही दी जाती बिना ठोस कारण से सेवा से पृथक किया जाता है।
दो साल से नहीं बढ़ा वेतन
उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षों से कोई वेतन वृद्धि शासन द्वारा नही की गई। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में करोड़ों रूपये केन्द्र सरकार की ओर से दी जानी वाली राशि का पूरा उपयोग नही होने के कारण लेप्स हो रही है। जब कि इसी ऑकस्मिक वित्तीय राशि से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा में कार्यरत् संविदा अधिकरी / कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ की 2 सूत्रीय मांग
संघ ने मांग की है कि कांग्रेस के जन घोषण पत्र 2018 एवं मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा पटल जुलाई 2021 के अनुसार सभी मनरेगा संविदा अधिकारी/कर्मचारियों को नियमितीकरण किया जाए। वही तत्कालीन मांग 30 प्रतिशत की वेतन वृद्धि मनरेगा में कार्यरत् अधिकारी-कर्मचारियों की किया जाए।