सीजी क्रांति/खैरागढ़। विधानसभा उप चुनाव में जनता कांग्रेस पूर्व विधायक दिवंगत देवव्रत सिंह की तस्वीर के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है। हालांकि देवव्रत सिंह की बेटी शताक्षी सिंह कांग्रेस को समर्थन कर रही है। ऐसे में दिलचस्प यह होगा कि देवव्रत सिंह की तस्वीर पर कौन अधिकार जमाता है। देवव्रत सिंह जनता कांग्रेस से विधायक थे, पर उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा जताई थी। किंतु वे कांग्रेस प्रवेश नहीं कर पाए थे।
खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव जनता कांग्रेस के लिए अस्तित्व बचाने की भी लड़ाई होगी। इसके लिए पहले वे मरवाही सीट खो चुके हैं। अब खैरागढ़ विधानसभा उनके लिए नाक का सवाल हो गया है। खासकर अमित जोगी और धरमजीत सिंह के लिए अग्नि परीक्षा होगी। यदि यहां बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए तो इससे पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए निराशा और बिखरने का सबब बन जाएगा।
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खैर, जोगी कांग्रेस ने देवव्रत सिंह की मौत से मिलने वाली संभावित सहानुभूति लहर को अपने पक्ष में लाने देवव्रत सिंह के बहनोई नरेंद्र सोनी को मैदान में उतारा है। देवव्रत के निधन के बाद जोगी कांग्रेस के अधिकांश नेता व कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रवेश कर लिया है। अब गिने—चुने लोग ही जोगी कांग्रेस में बचे हैं। नरेंद्र सोनी के अचानक नाम आने से जोगी कांग्रेस के ऐसे लोग नाराज है, जो खुद विधायक टिकट की चाह रख रहे थे। हालांकि यह स्थिति अन्य दलों के साथ भी है।
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बहरहाल जोगी कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र सोनी मैदान में उतर गए हैं। वे पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। वे अपने छात्र जीवन के पुरानी टीम को साधने उनके संपर्क में है। वहीं देवव्रत सिंह के बहनोई होने का उन्हें कितना लाभ मिलेगा, यह परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। पूर्व मुख्यमंत्री व जोगी के सुप्रीमो रहे अजीत जोगी का एससी व एसटी वर्ग में अच्छा खासा प्रभाव रहा है। ऐसे में अजीत जोगी के नाम को पार्टी कितना भुना पाती है और अमित जोगी स्वयं जमीन पर उतरकर जनता के रूझान को अपने पक्ष में लाने कितने सफल होंगे, इन्ही सब समीकरणों के दम पर जोगी कांग्रेस की सफलता—असफलता तय होगी।
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बहरहाल नरेंद्र सोनी खैरागढ़ विधानसभा ही नहीं बल्कि पूरे राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक शिक्षित युवा है। वे मूलत: खैरागढ़ के निवासी है। छात्रसंघ अध्यक्ष होने की वजह से उनका नेटवर्क छुईखदान, गंडई समेत आसपास के गांवों में भी है। आर्थिक दृष्टि की बात करें तो, नरेंद्र सोनी कांग्रेस—भाजपा के मुकाबले खर्चे में कमतर हो सकते हैं। लेकिन अन्य 10 प्रत्याशियों से वे 20 साबित होंगे। नरेंद्र सोनी खैरागढ़ को जिला बनाने आंदोलन कर रहे हैं। वे जिला निर्माण को अपना चुनावी मुद्दा भी बना रहे हैं। उनके आंदोलन में अमित जोगी भी आए थे। उन्होंने जिला निर्माण आंदोलन को अपना समर्थन दिया था। इस अवसर पर उन्होंने जिला निर्माण की मांग को विधानसभा में उठाने की भी बात कही थी।
जोगी कांग्रेस के छह प्रत्याशियों ने सैकड़ा भी पार नहीं किया था…ढाई माह पहले खैरागढ़ नगर पालिका चुनाव में जोगी कांग्रेस ने पार्षद पद के लिए छह प्रत्याशी उतारे थे। इन सभी के कुल वोट को जोड़े तो सैकड़ा भी पार नहीं हुआ था। इस लिहाज से देखे तो खैरागढ़ शहर में जोगी कांग्रेस का अस्तित्व लगभग लुप्तप्राय सा है। ऐसे में जोगी कांग्रेस के गिनती के कार्यकर्ताओं के भरोसे विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन करना जोगी कांग्रेस के अध्यक्ष अमित जोगी के लिए बड़ी चुनौती होगी।