सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। पेट, परिवार और पैसा के लिए गंडई के समीप सुखरी गांव में धर्मेंद्र नामक व्यक्ति मुर्गी फॉर्म में नौकरी कर रहा है। इसे गलत ठहरा कर गांव के ही सतनामी समाज के लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। समाजिक विरोध तक ठीक था लेकिन अब वह प्रताड़ना का रूप ले चुका है! पीड़ित परिवार को बहिष्कृत कर दिया गया है! समाज के कुछ लोगों का मानना है कि धर्मेंद्र द्वारा किया जा रहा कार्य गुरू घासीदास बाबा के संदेशों की अवहेलना है।
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बता दें कि गुरू घासीदास बाबा के संदेश केवल सतनामी समाज के लिए ही नहीं बल्कि अन्य समाज के लिए भी अनुकरणीय है, इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन उनके संदेशों की व्याख्या या उसे समझने और समझाने में कहीं न कहीं कुछ कमी यहां नजर आ रही है!
बस अब यही से सुखरी गांव के धर्मेंद्र चेलक की पत्नी साधना चेलक ने समाज के लोगों के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। सीजी क्रांति से चर्चा में साधना चेलक ने बताया कि उसके पति गांव के ही समीप मुर्गी फॉर्म हाउस में चारा-पानी देने का काम करते हैं। यह काम पहले भी गांव के कुछ लोग कर रहे थे लेकिन सतनामी समाज के लोगों द्वारा विरोध करने के बाद सबने काम छोड़ दिया। अब उसके पति पर काम छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है।
श्रीमती चेलक का कहना है कि समाज के लोगों का मानना है कि मुर्गी फॉर्म हाउस में काम करना गलत है। वह काम छोड़कर कोई दूसरा काम कर लें। साधना चेलक कहती है कि उनके पति न मांस खा रहे हैं। न ही जीव हत्या कर रहे हैं। वह सिर्फ आजीविका चलाने वहां मुर्गी फॉर्म्स में मजदूरी कर रहे हैं। वे ईमानदारीपूर्ण तरीके से अपना काम कर रहे हैं। ऐसे में कहीं से भी सतनामी समाज के नियमों या मान्यताओं की अवहेलना नहीं हो रही है। इसके बावजूद गांव में उनका सामाजिक बहिष्कार उचित नहीं है।
जिला सतनामी समाज के अध्यक्ष खुमान देशलहरे ने कहा कि साधना चेलक के विचार अपनी जगह सही है। इस विषय पर पहले भी समाजिक बैठक में चर्चा हो चुकी है। मामले के समाधान के लिए दोबारा इस पर पुनर्विचार किया जाएगा।
इस मामले में सतनामी समाज के वरिष्ठ कार्यकर्ता व बसपा नेता बहादुर कुर्रें ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर महिला के विचार और सवाल सही है। इस मामले में मिल-बैठ चर्चा उपरांत ही निर्णय लिए जाने की जरूरत है।