खैरागढ़: जन्मदात्री माता पदमा देवी करेंगी राजा और राजकुमारी का पालन-पोषण

जन्मदात्री माता पदमा देवी करेंगी राजा और राजकुमारी का पालन-पोषण

सीजी क्रांति/मनोज चेलक

खैरागढ़। दिवंगत राजा देवव्रत सिंह (Devvrat Singh Khairagarh) के बच्चों की उम्र बेहद कम है। नए राजा आर्यव्रत सिंह नाबालिग है, तो राजकुमारी शताक्षी सिंह (Rajakumari Shatakshi Singh) कुछ माह पहले ही बालिग हुई है। यहीं वजह है कि दोनों के देखरेख और पालन-पोषण को लेकर जन मन में उत्सुकता है। जन मन में सवाल है, आखिर राजा आर्यव्रत (Raja Aaryavrat Singh) और राजकुमारी शताक्षी की जिम्मेंदारी किसकी कंधों पर होगी। राजा के बालिग होने तक कौन संभालेगा राजपाठ का भार। जन-मन में उठ रहे कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने सीजी क्रांति की टीम ने राजा आर्यव्रत सिंह और राजकुमारी शताक्षी सिंह की जन्मदात्री माता पदमा देवी सिंह (Padma Devi Singh) से खास बातचीत की।

उन्होंने कहा कि राजा देवव्रत सिंह के आकस्मिक निधन के बाद जन्मदात्री माता होने के नाते अपने दोनों बच्चों के देखभाल व पालन-पोषण करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हूं। यानी यह साफ हो गया कि पुत्र राजा आर्यव्रत सिंह और राजकुमारी शताक्षी सिंह अब पदमा देवी सिंह के पास ही रहेंगे।

दुखदायी पलों को भूल नहीं पा रहे

देवव्रत के जाने के बाद राजा आर्यव्रत सिंह और राजकुमारी शताक्षी सिंह टूट चुके है। दोनों उन दुखदायी पलों को भूलाएं नहीं भूल पा रहे है। वे उस दुखदायी घटना से उबर नहीं पाए है। उनके सामने दुखों के पहाड़ खड़ा है। जिंदगी के इम्तिहान तो दे ही रहे हैं, साथ ही स्कूल के इम्तिहान से भी गुजरना पड़ रहा है। स्कूल की परीक्षाएं चल रही है, लेकिन राजा साहब की तरह ही दोनों एक योद्धा की भांति दोनों जीवन की उतार-चढ़ाव से पार पाने की कोशिश कर रहे है।

पदमा देवी सिंह ने कहा कि राजा साहब के आकस्मिक निधन को एक महीना ही हुआ है। उस दुखद घटना से मेरे दोनों बच्चे बेहद दुखी है। उस सदमे से उबर भी नहीं पाएं है। उनकी बोर्ड की परीक्षा चल रही है, और किस तरह से उन चीजों को मैनेज कर रहे हैं, वे अपने आप में एक बड़ी संवेदनशील चीज है। पूरा राजपरिवार के बड़े-बुजुर्ग भी इस आकस्मिक घटना को न ही समझ पा रहे है कि ये कैसे हुआ, और न ही इस चीज से उभरने की शक्ति मिल रही है।

राजपरिवार मिलकर तय करेगा प्रशासक

नए राजा आर्यव्रत सिंह की उम्र बेहद कम है, वह मात्र 16 साल के है। वे राजकीय कामकाज करने में फिलहाल कानून सक्षम नहीं है। लिहाजा राजकीय कामकाज के लिए प्रशासक नियुक्त करना होगा, जो राजा आर्यव्रत सिंह के बालिग होने तक राजपाठ का भार अपने कंधों में उठा सकें। वही राजा के बालिग होने के उपरांत उनका पूरा राजपाट कानून उन्हीं के कंधो पर चला जाए। सीजी क्रांति से खास बातचीत के दौरान पदमा सिंह ने इस पहलू में भी रोशनी डाली।

पदमा ने कहा कि राजपरिवार खैरागढ़ की कार्यशैली कैसी होगी, इस चीज को राजपरिवार के सभी सदस्य मिलकर निर्णय लेंगे। इसकी रूपरेखा पूरा परिवार मिलकर तय करेंगे। परंपरा के अनुसार किसी भी राजा की गद्दी कभी खाली नहीं रहती, इसी परंपरा के अनुसार कम उम्र होने के बाद भी युवराज आर्यव्रत सिंह का राजतिलक किया गया है। राजपरिवार की कार्यशैली कैसी होगी, इस चीज का राजपरिवार मिलकर रूपरेखा तैयार करेंगे। वही जो भी निर्णय होगा, जनता को बताया दिया जाएगा।

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