सीजी क्रांति/खैरागढ़। विधानसभा उपचुनाव-2022 का बिगुल बजने के साथ ही कांग्रेस-भाजपा की पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे दावेदारों के बीच हलचल तेज हो गई है। दावेदार टिकट के लिए ज्यादा सक्रिय हो गए है। हर कोई टिकट को लेकर पार्टी की रणनीति भांपने कोशिश में जुटे हुए है। वही पार्टी के आला नेताओं के सामने खुद की पैरवी करते नजर आ रहे है।
संगठन भी हर दावेदार को अपने-अपने स्तर पर तैयारी रखने की नसीहत दे रहा है। यहीं वजह है कि कांग्रेस-भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ने की मंशा रखने वाले नेता क्षेत्र में अपनी-अपनी पार्टी का जमकर गुणगान कर रहे है। गौरतलब है कि विधानसभा उपचुनाव के लिए जारी शेड्यूल में पार्टियों को प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कम समय मिल रहा है। इसलिए दावेदारों में हलचल तेज हो गई है। क्योंकि इतने कम समय में दावेदारों को टिकट के लिए संघर्ष करना है और टिकट मिलने के बाद नामांकन भी भरना है।
कांग्रेस में कश्मकश की स्थिति?
विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस में दावेदारों की लंबी सूची है। यहां दो दर्जन से ज्यादा दावेदार सामने आ चुके है। वही अपने-अपने स्तर पर क्षेत्र में सक्रियता भी दिखा रहे है। पार्टी सूत्रों की मानें तो यशोदा नीलांबर वर्मा, पदमा सिंह, पूर्व विधायक गिरवर जंघेल और प्रोफेशनल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष उत्तम सिंह के नामों पर विचार चल रहा है।
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इधर देवव्रत सिंह के निधन के बाद पूर्व पत्नी पदमा सिंह सहानुभूति वोट को लेकर चर्चा में है। हालांकि देवव्रत की दूसरी पत्नी विभा सिंह के लगाए गए आरोपों के बाद दावेदारी जरूर कमजोर हुई है। लेकिन अंतिम निर्णय शीर्ष नेतृत्व के पास सुरक्षित है। वही उत्तम ठाकुर फंडिंग के लिहाज से मजबूत दावेदार नजर आ रहे है। जबकि गिरवर जंघेल का नाम पूर्व विधायक विधायक व जातिवाद समीकरण की वजह से चर्चा में है।
कोमल-विक्रांत फिर आमने-सामने
कांग्रेस के बनिस्बत भाजपा में दावेदारों की सूची बेहद कम है। लेकिन टिकट के दावेदारों में दो पुराने चेहरे फिर आमने-सामने हो गए है। बताया जा रहा है कि भाजपा की ओर से पूर्व विधायक कोमल जंघेल और जिपं उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह के बीच में टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में रायशुमारी का दौर चल रहा है।
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कोमल जंघेल ने 2007 उपचुनाव, 2008 आम चुनाव ने जीत दर्ज की थी। जबकि 2013 और 2018 के चुनाव में कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सत्ता परिवर्तन के दौर में आठ सौ से कम वोटों से हारना उनकी मजबूती बताता है। इधर विक्रांत सिंह पिछले दो चुनावों से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे है। जातिवाद समीकरण के चलते दोनों ही चुनाव में मौका नही मिल पाया। हालांकि चुनावी मैनेजमेंट की वजह से विक्रांत का नाम भी बराबरी से चल रहा है। इसके अलावा एक नाम लुकेश्वरी जंघेल का भी बताया जा रहा है।