सीजी क्रांति/खैरागढ़। खैरागढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के अंधरूनी सर्वे में ज्योति जंघेल की खोज होने के बाद कांग्रेस-भाजपा में हलचल तेज हो गई है। भाजपा से लुकेश्वरी जंघेल के निलंबन के बाद पार्टी को एक महिला चेहरा की तलाश थी, जिसे समय आने पर विधानसभा स्तर पर लांच किया जा सके। जो जाति समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन, नया चेहरा, शिक्षा और आकर्षक व्यक्तित्व जैसे बुनियादी कसावट में खरा उतर सके। यह तमाम खूबियां ज्योति जंघेल के व्यक्तित्व में देखी जा रही है। छुईखदान के ग्राम पंडारिया की सरपंच ज्योति जंघेल के रूप में वह तलाश अब लगभग पूरी हो चुकी है।
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दरअसल कांग्रेस से अभी यशोदा नीलांबर वर्मा विधायक है। उप चुनाव में उन्होंने लंबे अंतराल से भाजपा के कोमल जंघेल को पराजित किया। हालांकि इसके पीछे पूरी सरकार ने ताकत लगाई थी। लिहाजा कांग्रेस की विधायक यशोदा के सामने भाजपा के पास कोई मजबूत महिला चेहरा नहीं था, जो हैं वे पार्टी लाईन से अलग चल रहे हैं या पार्टी के स्थानीय प्रभावी नेताओं के गुड लिस्ट में नहीं हैं। ऐसे में ज्योति जंघेल पूरी तरह से नया व निर्विवाद चेहरा है।
ज्योति जंघेल को लेकर कांग्रेस के रणनीतिकारों के भी कान खड़े हो गए हैं। कारण यह है कि अब तक कांग्रेस विधायक यशोदा के मुकाबले भाजपा में कोमल जंघेल और विक्रांत सिंह ही प्रबल उम्मीदवार थे। लेकिन महिला उम्मीदवारी के मामले में भाजपा के पास सशक्त चेहरा सामने नहीं आ पाया था। हालांकि साहू समाज से लिमेश्वरी साहू और लोधी समाज से लुकेश्वरी जंघेल अपनी दावेदारी रखते रहे हैं। लेकिन भाजपा नेत्री ज्योति जंघेल हर मामले में कांग्रेस की विधायक यशोदा वर्मा को टक्कर देने में सक्षम साबित हो सकती हैं।
विधायक यशोदा वर्मा खैरागढ़ क्षेत्र से हैं जबकि ज्योति जंघेल छुईखदान बेल्ट से हैं। यानी भौगोलिक रूप से गौर करें तो ज्योति विधानसभा के बीच में होने की वजह से क्षेत्रीयता का संकट नहीं हैं। वहीं जाति समीकरण में भी ज्योति फिट बैठ रही है। फ्रेश चेहरा होने की वजह से ज्योति जंघेल के साथ किसी विवाद की भी समस्या नहीं है। वहीं ज्योति की ओवर ऑल पर्सनलिटी भी लोगों को स्वाभाविक रूप से आकर्षित करेगी।
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वहीं एक तरफ विधायक यशोदा की मात्र छत्तीसगढ़ी भाषा में ही पकड़ है तो वहीं ज्योति जंघेल छत्तीसगढ़़ी के साथ ही हिंदी में मजबूत पकड़ रखती है। जो खासकर शहरी और पढ़े-लिखे लोगों को प्रभावित करेगी। ज्योति जंघेल फिलहाल स्थानीय गुटबाजी से दूर है। इसलिए भाजपा की खेमेबाजी से होने वाले नुकसान से ज्योति जंघेल को आंच नहीं आएगी।
हालांकि ज्योति जंघेल का नाम सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारे यह बात फैलाई जा रही है कि ज्योति अभी नई है। विधानसभा स्तर पर उनकी पहुंच कार्यकर्ताओं तक नहीं है। वह अभी गांव की सरपंच है। यहां से सीधे विधानसभा चुनाव की उनकी उम्मीदवारी को स्वीकारने में लोग आनाकानी कर रहे हैं। इसके उलट भाजपा के ही एक वर्ग का यह भी मानना है कि दिग्गज , अनुभवी और खुद को प्रभावशाली नेता मानने वालों के रहते खैरागढ़ विधानसभा में भाजपा लगातार पराजित हो रही है। नगरीय निकाय हो या पंचायती राज, कांग्रेस का ही कब्जा है। तो क्यों न एक बार नए चेहरे को मौका देकर भाजपा भी कांग्रेस की महिला उम्मीदवार के खिलाफ एक महिला नेत्री को मैदान में उतारे ?
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