सीजी क्रांति न्यूज/रायपुर। खैरागढ़ में विधानसभा चुनाव की अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। लेकिन नगर स्तर पर प्रचार अभियान ने अब तक जोर नहीं पकड़ा है। कांग्रेस जहां भूपेश बघेल और घोषणाओं के सहारे जीत जाएंगे, इस विश्वास पर हैं तो भाजपा कार्यकर्ता विक्रांत सिंह के व्यक्तित्व और प्रभाव के दम पर जीत का दंभ भर रहे हैं। लिहाजा नगर व वार्ड स्तर पर संपर्क व प्रचार अभियान अब तक जोर नहीं पकड़ा है।
यानी चुनावी माहौल फिलहाल खैरागढ़ में ठंडा है। भाजपा प्रत्याशी विक्रांत सिंह अपने बूते पूरे प्रचार अभियान की कमान संभाले हुए हैं तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी देर से घोषित होने के बाद गांव-गांव संपर्क में जुटी हुई है। खैरागढ़ में कांग्रेस कमजोर हैं लेकिन पार्टी की यहां अपनी ताकत बढ़ाने की जो कोशिश होनी चाहिए, वह नजर नहीं आ रही है।
प्रत्याशियों का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में हैं लेकिन अपने ही गृह नगर में जनता के बीच कार्यकर्ता दमदार मौजूदगी दर्ज कराने में अब तक कमजोर साबित हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो खैरागढ़ स्तर पर 1 नवंबर से प्रचार अभियान तेज होने की बातें कहीं जा रही है। नगर में न कार्यकर्ताओं को लुभाने के प्रयास शुरू हुए और न ही किन्ही कारणों से पार्टी से दूर हो चुके या नाराज होकर बैठे वार्ड स्तर के कार्यकर्ताओं को समझाने अभियान शुरू हो पाया है।
दिलचस्प यह है कि खैरागढ़ में मजबूत मानी जाने वाली भाजपा ने भी अब संपर्क, बैठक और नुक्कड़ सभाएं शुरू नहीं कर सका है। शहर में कांग्रेस प्रचार की कमान मनराखन देवांगन ने संभाल रखा है। तो वहीं भाजपा के कुछ वार्डों में स्वयं विक्रांत सिंह ने नुक्कड़ सभाएं ली है। वहीं उनकी धर्मपत्नी घर-घर संपर्क में जुटी हुई है। अधिकांश कार्यकर्ता प्रत्याशी की परिक्रमा में जूटे हैं। नगर में जनता को करीब लाने या जनता के करीब जाने का कार्यक्रम ही तैयार नहीं हुआ है।
वार्ड स्तर पर पार्षदों ने अभी तक खुद की टीम बनाकर संपर्क अभियान शुरू नहीं किया है। जो कुछ संपर्क या प्रचार अभियान चल रहा हैं वह संगठन स्तर पर सामूहिक प्रयास ही हो रहा है। लिहाजा खैरागढ़ नगर में अब तक चुनावी माहौल नहीं बन पाया है।