CG क्रांति/खैरागढ़। विधायक देवव्रत सिंह (DEVVRAT SINGH) के निधन के बाद से खैरागढ़ की खाली विधानसभा सीट पर नियमों के तहत छह माह के भीतर यानी अप्रैल तक उपचुनाव (BY ELECTION) कराया जाना अनिवार्य है। जिसे लेकर प्रशासनिक तैयारी अंतिम पड़ाव पर चल रही है। बताया जा रहा है कि फरवरी माह में आदर्श आचार संहिता लागू होने के अलावा अप्रैल चुनाव खत्म हो जाएगी। जिसके लिए प्रशासनिक अमला से लेकर राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुटे हुए है।
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छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से वर्तमान में पांचवी सरकार काम कर रही है। तीन पंचवर्षीय डॉ रमन सिंह की नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार रही, वही राज्य गठन के शुरूआती तीन साल अजीत जोगी और वर्तमान में भी भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार सत्ता पर काबिज है। खास बात यह है कि राज्य गठन के बाद से अब तक 12 बार उपचुनाव हो चुका है। जिसमें मरवाही विधानसभा सीट पर ही दो बार और खैरागढ़ में दूसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है, जबकि शेष 9 सीटों पर एक-एक बार ही उपचुनाव हुआ है।
दोनों उपचुनाव का देवव्रत से संबंध
राज्य गठन के बाद के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो खैरागढ़ सीट पर दो दफे उपचुनाव नौबत आयी है। दोनों ही बार देवव्रत सिंह ही विधायक थे। पहला उपचुनाव साल 2003-08 पंचवर्षीय के दौरान देवव्रत सिंह के लोकसभा सांसद चुनाव जीतने के बाद हुआ था। तब भाजपा के कोमल जंघेल ने जीत दर्ज की थी। वही दूसरी बार भी देवव्रत सिंह विधायक थे। लेकिन इस बार उनके निधन के बाद दोबारा चुनाव कराना पड़ रहा है।
जून 2007 उपचुनाव: पदमा-कोमल में टक्कर
देवव्रत सिंह के सांसद बनने के बाद खैरागढ़ की खाली विधानसभा सीट पर जून 2007 में उपचुनाव हुआ था। कांग्रेस की ओर से देवव्रत की तत्कालीन पत्नी पदमा सिंह चुनावी मैदान में हाथ आजमा रही थी, तो भाजपा ने नए चेहरे पर दांव खेलते हुए कोमल जंघेल को प्रत्याशी बनाया था। तब कोमल जंघेल ने कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ते हुए जीत दर्ज की थी।
उपचुनाव-2022: पुराने के साथ नए चेहरे भी दावेदार
राज्य गठन के बाद खैरागढ़ विधानसभा में जून 2007 में हुए उपचुनाव में पदमा सिंह और कोमल जंघेल आमने-सामने हुए थे। खास बात यह है कि वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य के लिहाज से उसी तरह का समीकरण बनता दिख रहा है, लेकिन कांग्रेस-भाजपा में दोनों ही पुराने चेहरे के अलावा नए चेहरे भी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे है।
कांग्रेस से पदमा सहित पूर्व विधायक गिरवर जंघेल, प्रदेश कांग्रेस सचिव नीलेन्द्र शर्मा, प्रोफेशनल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष उत्तम सिंह के अलावा जातिवाद के लिहाज से नपा अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा, नीलांबर वर्मा, विजय वर्मा, यशोदा वर्मा, कामदेव वर्मा, दशमत जंघेल, रजभान लोधी जैसे नाम भी हवा में तैर रहे हैं।
भाजपा की ओर से साल 2007 के उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले पूर्व विधायक कोमल जंघेल सहित जिपं उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, गिरिराज किशोर दास वैष्णव, खम्मन ताम्रकार के अलावा जातीय समीकरण के चलते जिपं सभापति घम्मन साहू और तीरथ चंदेल, लुकेश्वरी जंघेल, स्वरूप वर्मा, राजकुमार जंघेल जैसे नाम भी हवा में तैर रहे हैं।