सीजी क्रांति/खैरागढ़। शहर का राजफैमली वार्ड चुनावी आरक्षण के प्रपंच में फंसा हुआ है। वार्ड आरक्षण के उस प्रपंच से उबर नहीं पा रहा है। यहीं वजह है कि राजफैमली वार्ड नंबर 04 में बाहरी प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरते हैं। वही पार्षदी भी दूसरे वार्ड से आए लोग संभालते है। वार्ड हर चुनाव की तरह इस बार भी आरक्षण के फेर फंस गया है। जिस वर्ग के लिए वार्ड आरक्षित हुआ है। यहां उस वर्ग का कोई भी व्यक्ति निवास नहीं करता है। यहीं वजह है कि कांग्रेस-भाजपा जैसी बड़ी राजनीतिक पार्टियों को दूसरे वार्ड से प्रत्याशी उतारना पड़ा है।
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शहर में सबसे ज्यादा वोटर
शहर में सबसे ज्यादा वोटर इसी वार्ड में है। 1544 की आबादी वाले राजफेमली में सबसे ज्यादा वोटर है। यहां 1 हजार 152 मतदाता है। जिसमें 609 महिला और 543 पुरुष शामिल है। इस बार कांग्रेस ने सोनारपारा निवासी सुमित टांडिया पर दांव खेला है। वही भाजपा ने भी उसी मोहल्लें से प्रत्याशी उतारा है। उन्होंने सोनारपारा के ही कैलाश नागरे को मैदान में उतारा है। वार्ड में पकड़ होने की वजह से भाजपा आगे है।
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प्रत्याशी खुद को नहीं दे पाएंगे वोट
यहां चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी खुद को वोट नहीं दे पाएंगे। क्योंकि दोनों प्रत्याशी दूसरे वार्ड के निवासी है। यहां के वोटर लिस्ट में दोनों का ही नाम नहीं है। लिहाजा वे खुद को वोट नहीं कर पाएंगे। खास बात यह है कि कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों को जीत हासिल करने के लिए बड़े नेताओं के चेहरे का सहारा लेना पड़ेगा। तभी चुनाव में बाजी मार सकते हैं।हालांकि वार्ड में भाजपा की पकड़ होने की वजह से प्रत्याशी की जीत को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है।
अब तक नहीं हुआ समाधान
शहर में सबसे ज्यादा वोटर इसी वार्ड में है। लेकिन आरक्षण की वजह से खुद के वार्ड से पार्षद नहीं चुन पाते हैं। क्योंकि बाहुल्यता वाले लोगों में से आरक्षण नहीं होता है। यहां हर पार्षद चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो जाता है। जिसे लेकर वार्ड के लोगों ने प्रशासन के बाद गुहार भी लगा चुके है। लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान अब तक नहीं हो पाया है।
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