सीजी क्रांति/खैरागढ़। बाबा भीमराव अंबेडकर की 132 वीं जयंती अवसर पर सिविल लाइंस में आयोजित कार्यक्रम में जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा कि मुझे खुशी है कि नगर पंचायत अध्यक्ष रहते हुए मेरे कार्यकाल में बस स्टैंड के समीप अंबेडकर जी की मूर्ति लगाई गई। जिस चौक को लोग यूनिवर्सिटी चौक के नाम से जानते थे, अब उसे अंबेडकर चौक कहा जाने लगा है। शहर का यह एकमात्र चौक है, जहां प्रतिमा लगाई गई है। और आज यह नगर का ह्दय स्थल है। मुझे इस बात का गर्व है।
जिपं उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा कि बौद्ध समाज के द्वारा भवन निर्माण का भूमिपूजन किया गया है जो सर्व समाज के लिये ऐतिहासिक दिन बनेगा। बाबा साहब का योगदान केवल हिन्दुस्तान में ही नहीं पूरे विश्व में रहा है। उस दौर में किसी प्रकार के सहयोग के बगैर भी उन्होंने ऐसा काम किया है कि उन्हें सिंबल ऑफ नॉलेज कहा जाता है। उनकी बराबरी कर पाना हिन्दुस्तान में ही नहीं पूरे विश्व के लिये मुश्किल काम है।
बता दें कि खैरागढ़ के एक मात्र संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाई गई है। कुछ माह पहले नगर के अमलीपारा चौक में सतनामी समाज की प्रतिष्ठित महिला व पूर्व सांसद रह चुकी मिनी माता की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इसी जगह पर विवाद खड़ा हो गया। चंद्राकर समाज व मोहल्ले के लोगों ने यहां छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा स्थापित करने की मांग कर डाली। इसके बाद प्रतिमा स्थापना का कार्य ठंडे बस्ते में चला गया है। वहीं लांजी रोड स्थित टैंपो स्टैंड को महाराणा प्रताप चौक का नामकरण किया गया है। लेकिन यहां सत्ता में शुरू से प्रभावी रहे ठाकुर समाज ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा नहीं लगवा पाए हैं। क्षेत्र में लोधी समाज बाहुल्यता को देखते हुए अब उनके समाज से भी शहर में रानी अवंति बाई की प्रतिमा लगाने की मांग उठने लगी है।
चुनाव हुए एक साल हो गए, देवव्रत सिंह की प्रतिमा भी ठंडे बस्ते में!
खैरागढ़ के पूर्व विधायक देवव्रत सिंह की मृत्यु के बाद हुए विधानसभा उप चुनाव के वक्त उनकी प्रतिमा लगाने की घोषणा कांग्रेस ने की थी। उनके समर्थकों ने इस पर खुशी जाहिर भी की। लेकिन उप विधानसभा चुनाव को एक साल हो गए अब तक देवव्रत सिंह की प्रतिमा नहीं लगाई जा सकी। उनकी प्रतिमा तो दूर, प्रतिमा किस जगह पर लगानी है, वह स्थान तक तय नहीं किया जा सका है। जोगी कांग्रेस के नेता रहे देवव्रत सिंह के जो समर्थक यह मांग उठाते अब वे सभी कांग्रेस प्रवेश कर चुके हैं। लिहाजा देवव्रत सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग पुरजोर तरीके से उठाने वाला तक नहीं है। हालांकि अब तक कांग्रेस ने जो घोषणाएं की है, उसे पूरा कर रही है। संभव है कि विधानसभा के आम चुनाव के पहले देवव्रत सिंह की प्रतिमा स्थापित कर दी जाएगी।