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रायपुर में रोजगार के लिए चीत्कार…मनरेगा कर्मियों के पंडाल में लाशों के पुतले, चीख-चीख कर रो रहीं थीं लड़कियां; बोलीं-मातम के सिवा कुछ नहीं बचा

रायपुर। पंडाल के भीतर चार पांच लाशें रखी थीं, आस -पास बैठी लड़कियां चीख चीख कर रो रही थीं। मामला रायपुर का है। दरअसल पिछले 65 दिनों से जारी मनरेगा कर्मचारियों के आंदोलन में मंगलवार को कुछ यही नजारा देखने को मिला। कर्मचारियों ने सांकेतिक तौर पर कुछ लाशें ( कफन के भीतर पुतले) रखकर रोते हुए मातम मनाया। यह संदेश देना चाहते थे कि इनकी जिंदगियों में बेरोजगारी का दर्द और मातम के सिवा कुछ नहीं। पंडाल में आने वालों से कर्मचारियों ने कहा कि अब हमारे पास इसी तरह मरने के सिवाए कुछ नहीं, इसलिए मातम मनाकर विरोध जता रहे हैं।

पुतलों को रखकर ये विरोध किया गया।


मनरेगा कर्मचारियों का आंदोलन रायपुर के धरना स्थल पर पिछले 2 महीनों से जारी है । वह लगातार नियमित किए जाने की मांग कर रहे हैं मगर विभागीय अधिकारी इनकी एक भी नहीं सुनते । इसी वजह से कर्मचारियों ने यह कदम उठाया। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि कुछ दिनों पहले हमारे 3000 साथियों को बर्खास्त कर दिया गया । इसके बाद 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की नौकरी खत्म कर दी गई। यह रवैया ठीक नहीं है । इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में राधेश्याम कुर्रे, सूरज सिंह जैसे पदाधिकारी शामिल हुए।

12 हजार सौंप चुके हैं इस्तीफा

तीन दिन पहले ही 21 लोगों को बर्खास्त किए जाने की वजह से 12 हजार कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा दिया गया। लोगों के इस्तीफे का भारी-भरकम बंडल अधिकारियों को सौंप दिया गया। मनरेगा कर्मचारियों ने कहा कि अब ये आंदोलन तब तक चलेगा जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती। कर्मचारियों ने कहा कि हमें तो नियमित किए जाने का वादा किया गया था।

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