सीजी क्रांति न्यूज/ खैरागढ़। नगर पालिका खैरागढ़ के अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा के इस्तीफे के पीछे जनता के बीच तरह—तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पालिका में हुए भ्रष्टाचार की पोल खुलने और कार्रवाई के डर से शैलेंद्र वर्मा दबाव में थे। भाजपा के ही एक नेता ने सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज निकालकर पोल खोलने का प्रेशर बनाया। इस भ्रष्टाचार में पालिका के पूर्व अफसरों की भी मिलीभगत होने की बात सामने आई है! यदि सूक्ष्मता और ईमानदारी से जांच हुई तो इसमें अफसर भी नपेंगे।
भ्रष्टाचार के इस तपिश में पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा के हाथ जलने की भी आशंका जाहिर कर उस पर पद छोड़ने और भाजपा प्रवेश का दबाव बनाया गया। भाजपा प्रवेश की सलाह श्री वर्मा को तथाकथित अफसरों ने दी थी। ताकि उन पर कोई आंच न आए। ऐसी उनकी सोच थी। चौतरफा दबाव पड़ने के बाद शैलेंद्र वर्मा मानसिक रूप से परेशान थे। ऐसा उनके ही करीबी दबी जुबान से कह रहे हैं। हालांकि इन तमाम अटकलों में कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है। लेकिन यह तो तय है कि इस्तीफ के पीछे षडयंत्र की व्यूह रचना पूरी सुनियोजित तरीके से रची गई है।
पालिका के सीएमओ प्रमोद शुक्ला द्वारा खुले तौर पर यह स्वीकारना कि उन्हें खुद पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा ने इस्तीफा सौंपा है। जिसे उन्होंने उच्च अफसरों तक फारवर्ड कर दिया। इस्तीफे के करीब चार दिन बाद सोशल मीडिया में इस्तीफा सार्वजनिक होना। फिर कांग्रेस और पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा द्वारा डिफेंस मोड में आकर इस्तीफे को नकारना। इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम से नगर की जनता हैरान, परेशान और शहर के भविष्य को लेकर खुद को ठगा महसूस कर रही है। जनता इस पूरे प्रकरण के जल्द पर्दाफाश होने का इंतजार कर रही है।