सीजी क्रांति/रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को इस बार राजनांदगांव विधानसभा से टिकट नहीं मिलेगी। उनके साथ भाजपा के अन्य 14 विधायकों को भी रिपीट नहीं किया जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व डॉ. रमन सिंह पर विश्वास नहीं कर रहा है। शुक्रवार को मीडिया से चर्चा में यह तमाम बातें सीएम भूपेश बघेल ने कही। श्री बघेल ने यहां तक कह दिया कि डॉ. रमन सिंह अपने बेटे अभिषेक सिंह के लिए टिकट नहीं ला पाएं।
भूपेश बघेल ने यह तमाम बातें डॉ. रमन सिंह के उस बयान का पलटवार करते हुए कहा जिसमें डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस के कई विधायकों द्वारा अगला चुनाव लड़ने के लिए अनिच्छा जाहिर कर देने की बात कही थी। दरअसल उनका इशारा मंत्री टीएस सिंहेदव को लेकर था। कुछ समय पहले श्री सिंहदेव ने अगला चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छा जताते हुए कहा इसका निर्णय कार्यकर्ताओं पर छोड़ने की बात कही थी।
बता दें कि डॉ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में वह राजनांदगांव विधानसभा सीट से विधायक हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्हें भाजपा से ही कांग्रेस में गई करूणा शुक्ला ने कड़ी टक्कर दी थी। जबकि वह दूसरे क्षेत्र से आकर यहां चुनाव लड़ी थी। करूणा शुक्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थी।
दरअसल डॉ. रमन सिंह को लेकर स्थानीय स्तर पर भी यह बात उठने लगी है कि वे वोट अपने गृह नगर कवर्धा में डालते हैं। चुनाव राजनांदगांव से लड़ते हैं। रहते रायपुर में हैं। इसकी वजह से राजनांदगांव के स्थानीय नेताओं की उम्र ढल रही है। वहीं नए चेहरों को मौका नहीं मिल रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि डॉ. रमन सिंह के गृह नगर में कवर्धा सीट से कांग्रेस के मो.अकबर ने पूरे छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मतों से जीत हासिल किए थे। यहीं नहीं कवर्धा जिला के पंडरिया सीट से भी कांग्रेस की ममता चंद्राकर ने जीत हासिल की। वहीं 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव जिले में भी डॉ. रमन सिंह को छोड़ सभी भाजपा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। लिहाजा डॉ. रमन सिंह अपने ही क्षेत्र में भाजपा की लाज बचाने में बुरी तरह विफल साबित हुए थे। यही नहीं हाल ही में अविभाजित राजनांदगांव के छुईखदान और गंडई में भाजपा पार्षदों के बागी होने की वजह से दोनों नगर पंचायतों में कांग्रेस काबिज हो गई।