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नगर पालिका खैरागढ़ में ढेरों लापरवाही ? कलेक्टर ने छीना सीएमओ सूरज सिदार का वित्तीय अधिकार

file photo

सीजी क्रांति/खैरागढ़। नगर पालिका में ढेरों वित्तीय गड़बड़ियां और लापरवाही सामने आ रही है! सत्ता में बैठे कांग्रेस के जनप्रतिनिधि आंख मूंदे हुए हैं। वहीं विपक्ष जनहित के मुद्दों को उठाने में लकवाग्रस्त की स्थिति में है। ऐसे में कलेक्टर डॉ. जगदीश सोनकर शासकीय योजनाओं के बेहतर संचालन के लिए शासकीय कर्मचारियों में सजगता और जिम्मेदारी का भाव लाने कड़े फैसले ले रहे हैं। इसी कड़ी में नगर पालिका खैरागढ़ के सीएमओ सूरज सिदार का वित्तीय अधिकारी छीन लिया है। यह अधिकार उन्होंने खैरागढ़ के एसडीएम प्रकाश सिंह राजपूत को दे दिया है। कलेक्टर ने अपने आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया है कि जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु प्रशासनिक दृष्टिकोण से मुख्य नगर पालिका अधिकारी का वित्तीय प्रभार एसडीएम को सौंपा जाता है।

इधर सीएमओ का वित्तीय अधिकारी छीने जाने के बाद नगर पालिका में अफरातफरी की स्थिति है। कांग्रेस के तीन पार्षद जहां सीएमओ के वित्तीय अधिकारी को वापस दिलाने आला नेताओं से गुहार लगा रहे हैं। वहीं बाकी 7 पार्षद कलेक्टर के इस निर्णय को सही ठहरा रहे हैं। भाजपा के 10 पार्षद हर बार की तरह शांति की मुद्रा में है।

बहरहाल सीएमओ के वित्तीय अधिकारी को छीने जाने के कारण कार्यालयीन स्तर पर भुगतान को लेकर एसडीएम की सहमति लेने में कर्मचारियों का पसीना छूट रहा है। भुगतान संबंधी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरते जाने से व्यावहारिक परेशानियां आने की भी बातें कही जा रही है। लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए कलेक्टर अपने आदेश में इसे सही ठहरा रहे हैं!

हालांकि वित्तीय अधिकार अस्थायी तौर पर एसडीएम को स्थानांतरित किया गया है। यदि वित्तीय व्यवस्था व भुगतान संबंधी प्रक्रिया चुस्त हो जाती है तो सीएमओ के वित्तीय अधिकार को वापस लौटाए जाने की पहल भी प्रक्रिया के तहत किया जा सकता है।

बहरहाल जिला बनने के बाद बाद कलेक्टर की प्रशासनिक कसवाट लाने के बाद आम लोगों को प्रशासन के नजदीक होने का अहसास होने लगा है। हालांकि नए जिले में तमाम गड़बड़ियों और आम लोगों के कार्यों में लेटलतीफी के लिए होने वाले बहानेबाजी पर अंकुश लगाने में कई कड़े फैसले लेने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

नगर पालिका में पूर्व में की गई बड़ी गड़बड़ियां:-

  1. अत्यावश्यक सेवाओं में एक नया फायर बिग्रेड वाहन डेढ़ साल से बंद पड़ा है!
  2. हाल ही में पार्षद निधि से सीमेंट की कुर्सियां खरीदी गई। लेकिन उसकी उपयोगिता साबित करने में पालिका फेल!
  3. 2013 से 2018 तक प्लेसमेंट और संविदा कर्मचारियों के ईपीएफ का पैसा उनके खाते नहीं डाला गया। इसकी वजह से कर्मचारी ईपीएफ के पैसे से मिलने वाले ब्याज के पैसे से वंचित है। नौकरी जाने के डर से मुंह खोलने से डर रहे हैं!
  4. पालिका में कर्मचारियों के बीच कार्यविभाजन में असंतुलन की स्थिति!
  5. नदियों में अवैध मकान निर्माण जैसे घोर अपराध करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं !
  6. करीब 20 लाख रूपए की लागत से गौठान बनने के बाद भी उसके उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है!
  7. फतेह सिंह खेल मैदान में काली मिट्टी डालकर उसका सत्यानाश कर दिया गया, उसके दुरूस्तीकरण के कोई प्रयास नहीं!
  8. जिला केसीजी उद्घाटन के समय सार्वजनिक प्रयोजन की जगह बस स्टैंड को खाली कराकर वहां सीएम के स्वागत के लिए जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष नवाज खान को मंच लगाने अवैधानिक अनुमति दे देना! वहीं स्टेट हाईवे में भी प्रवेश द्वार पर विधायक यशोदा के हस्तक्षेप के बाद उसे हटाए जाने की कार्रवाई!
  9. जल आवर्धन योजना के ठेकेदार द्वारा बरती गई लापरवाही सामने आने के बाद भी कार्रवाई नहीं!
    10 ठेकेदारों के भुगतान में लेटलतीफी और भुगतान प्रकिया में अनियमितता की शिकायत पर कार्रवाई नहीं!
  10. नगर में नरवा और गरवा की स्थिति दयनीय है। जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है!
  11. नगर में अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में ढिलाई! इसका सीधा फायदा भू-माफिया उठा रहे हैं!
  12. अवैध मकान और कॉलोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया धीमा!

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