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दर्द: जिला केसीजी का कलेक्टर खुद डॉक्टर, पर अस्पताल बीमार, बुनियादी सुविधाएं भी नहीं, न स्टॉफ न तकनीकी संसाधन, बिल्डिंग भी जर्जर

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सीजी क्रांति/खैरागढ़। नया जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर खुद एमबीबीएस डॉक्टर हैं, पर जिला मुख्यालय खैरागढ़ का सिविल अस्पताल बीमार है। जर्जर हो चुकी बिल्डिंग और सीमित संसाधनों के बीच अस्पताल में चिकित्सा सुविधा पस्त है। उपलब्ध डॉक्टर और स्टॉफ अपने स्तर पर बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मरीजों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, उससे वे वंचित है। यही नहीं प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने खैरागढ़ में 50 बिस्तर अस्पताल की घोषणा की थी। उस पर आज तक अमल नहीं हो पाया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में सिविल अस्पताल के बजट में 2 करोड़ का प्रावधान रखा गया था।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अवर सचिव राजेंद्र सिंह गौर ने स्वास्थ्य विभाग के संचालक को पत्र भेजकर उनसे 50 बिस्तर अस्पताल भवन निर्माण के लिए 2 करोड़ की स्वीकृति की जानकारी देते हुए उनसे अस्पताल के संबंध में संक्षेपिका समेत तत्काल प्रस्ताव मांगा था। उसका अब तक पता नहीं है। क्षेत्र में कांग्रेस कीे विधायक है। जिले का कलेक्टर खुद डॉक्टर हैं और चिकित्सा सुविधा दे चुके हैं। इतना संवेदनशील मुद्दा होने के बावजूद 50 बिस्तर अस्पताल भवन निर्माण का प्रोजेक्ट फाईलों में कैद है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अधर में लटके प्रोजेक्ट को लेकर जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है।

बता दें कि करीब ढाई साल पूर्व ही अपने लोकवाणी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खैरागढ़ में 50 बिस्तर अस्पताल खोले जाने की घोषणा की थी लेकिन कोरोना सहित अन्य कारणों से लगातार मामला टल रहा था। खैरागढ़ में फिलहाल सिविल अस्पताल संचालित है। यहां व्यवस्था सहित अन्य सेटअप पुराने अस्पतालों के तर्ज पर ही चल रहे है।

शहर में 50 बिस्तर अस्पताल के लिए कागजी कार्यवाही भी प्रशासनिक तौर पर पूरी हो चुकी है! अस्पताल के नए भवन के लिए लगभग 15 करोड़ 64 लाख का प्रस्ताव कलेक्टर ने शासन स्तर पर भेजा था। लोकनिर्माण विभाग नें इसका प्राकलन तैयार किया है। सिविल अस्पताल परिसर में जगह कम पड़नें पर 50 बिस्तर अस्पताल का निर्माण नए जगह पर होना भी प्रस्ताव में शामिल है। पर अस्पताल के लिए नया जगह ढूंढने में राजस्व का अमला फिसड्डी साबित हो रहा है।

20 साल पुराना एक्स-रे मशीन, ईसीजी मशीन बंद, निजी संचालकों से महंगी कीमत पर करवानी पड़ रही जांच
अस्पताल में 20 साल से अधिक पुराना एक्स-रे मशीन है। जिसकी रिपोर्ट भी साफ नहीं आ रही है। जैसे तैसे तकनीशियन एक्सरे निकाल रहा है। वहीं ईसीजी मशीन बंद पड़ी है। अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन तक नहीं है। ऐसे कई तकनीकी संसाधनों के अभाव में जिला मुख्यालय का सिविल अस्पताल जूझ रहा है। जिसका खमियाजा आम और गरीब आदमी भुगत रहा है। सरकारी अस्पताल में यह बुनियादी सुविधाएं तक नहीं होने के कारण मरीजों को निजी रेडियोलॉजिस्ट के पास से महंग दाम चुकाकर जांच करानी पड़ रही है।
प्रसव के मामले अधिक, गांव व वनांचल के रहवासियों के सामने विकट समस्या

सिविल अस्पताल में करीब 36 बिस्तर हैं। चार एमबीबीएस व एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर व करीब 45 स्वास्थ्यकर्मी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सिविल अस्पताल में संस्थागत प्रसव के मामलें सबसे ज्यादा आते है। खैरागढ़ के अलावा, छूईखदान, गंडई, साल्हेवारा सहित आसपास के जालबांधा, बाजार अतरिया, घुमका जैसे इलाकों से भी मरीज इलाज के लिए पहुंचते है। सिविल अस्पताल में रोजाना ओपीडी में 200 से अधिक मरीज पहुंचते है। यहां संस्थागत प्रसव की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

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