सीजी क्रांति न्यूज/ खैरागढ़। जनसंघ के संस्थापक व भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणा पुरूष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उन्हें खैरागढ़ भाजपा संगठन ने याद करना तक जरूरी नहीं समझा। नवगठित जिले में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस नहीं मनाया गया। आश्चर्य की बात यह है कि जिले व मंडल के पदाधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है! पूर्व मंडल अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने जरूर इस अवसर पर श्री मुखर्जी के तैलचित्र पर माल्यार्पण व पूजन कर अपनी निष्ठ व जवाबदारी को निभाया। लेकिन खैरागढ़ मंडल व जिला भाजपा ने श्री मुखर्जी के बलिदान दिवस पर कोई आयोजन नहीं किया।
जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण अंग बनाने लड़ी थी लड़ाई, संदिग्ध परिस्थितियों में 23 जून 1953 में हुई थी मौत
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था। वहां का मुख्यमंत्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमंत्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की।
अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूंगा। उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबंद कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई की, 33 वर्ष की आयु में कुलपति बने
6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। डॉ. मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बी.ए. की उपाधि प्राप्त की। 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे।
मुझे जानकारी नहीं है- विनय देवांगन
खैरागढ़ मंडल भाजपा अध्यक्ष विनय देवांगन ने कहा-डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस कार्यक्रम की मुझे जानकारी नहीं है। यही बात मंडल महामंत्री आलोक श्रीवास ने भी कही।
विद्यारतन भसीन की मौत के कारण भूल गए मुखर्जी का बलिदान ?
इस पूरे मामले में जिला भाजपाध्यक्ष घम्मन साहू ने कहा कि दरअसल भिलाई के वैशालीनगर विधायक विद्यारतन भसीन की मौत की वजह से वहां जाना पड़ा। इसलिए दिन का कार्यक्रम स्थगित कर वहां से लौटकर शाम को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया गया। हालांकि पार्टी कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं ने कार्यक्रम को लेकर अनिभिज्ञता जाहिर की है। जिला भाजपा के महामंत्री रामाधार रजक ने कहा-23 जून को श्री मुखर्जी के बलिदान दिवस के दिन मैं बाहर था।