सीजी क्रांति न्यूज/राजनांदगांव। राजनांदगांव में गणेशोत्सव के साथ ही रोजगार और कारोबार में उछाल आ गया है। करीब सवा करोड़ रूपए की गणेश प्रतिमा बिकी है। वहीं गणेश झांकी में 3 करोड़ रूपए खर्च होंगे। गणेशोत्सव के बहाने डीजे, पंडाल, मूर्तिकार व कारिगरों समेत अन्य सेक्टरों में करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिला है। गणेशोत्सव छोटे कारीगरों से लेकर अन्य कलाकारों के लिए आर्थिक संजीवनी से कम नहीं है। करीब 100 साल से जारी गणेशोत्सव के दौरान जिले में एक बड़े तबके को रोजगार मिलता है। इनमें ठेले-खोमचे वाले से लेकर बड़े कारोबारी तक शामिल है।
मूर्तिकार संघ के अध्यक्ष देवा रंगारी के अनुसार शहर में गणेश जी छोटी प्रतिमाओं की बिक्री के लिए 52 स्टॉल लगे थे। जहां 18 हजार से अधिक प्रतिमाओं की अनुमानित बिक्री हुई है। एक प्रतिमा की औसत दर 500 रुपए भी लें, तो इस लिहाज से 90 लाख की छोटी प्रतिमाएं ही शहर में बिक गई। वहीं बड़े पंडालों के लिए बड़ी प्रतिमाएं 25 से 75 हजार रुपए और कुछ प्रतिमाएं 1 से सवा लाख तक में भी बिकी है।
झांकी का ही खर्च लाखों में
झांकी आर्टिस्ट राजू ने बताया कि दो जीप की एक झांकी के लिए करीब 7 लाख रुपए तक खर्च हो रहा है। शहर में औसत 35 से 40 झांकियां बननी है। जिसमें 3 करोड़ रुपए का खर्च होना है। इसमें वेल्डर, मूर्तिकार, इलेक्ट्रिशयन, पेंटर, कारपेंटर तक को काम मिलता है। हर झांकी को पूरा करने में 30 से 35 लोगों की टीम लगती है।
साउंड- बैंड व डकोरेशन में छोटे कारीगों को रोजगार
साउंड सिस्टम संघ के मनीष तिवारी ने बताया कि शहर में पर्व से लेकर झांकियों तक शहर में 40 से 50 साउंड सिस्टम और इतने ही बैंड – धुमाल को काम मिलता है। इनमें कम से कम 40 लोगों की टीम काम करती है। इस लिहाज से 2 हजार से 2500 लोग सीधे रोजगार से जुड़ते हैं। इसके अलावा स्थल पंडालों के डेकोरेशन में भी एक हजार से 1500 लोग काम कर रहे हैं। यह पर्व छोेटे-छोटे कारीगरों के लिए रोजगार का बड़ा साधन होता है।
विसर्जन झांकी में जुटेंगे 2 लाख लोग, छोटे कारोबारियों को सीधा लाभ
विसर्जन झांकी के दिन ही शहर में करीब 2 लाख के करीब भीड़ जुटती है। जिससे छोटे-छोटे दुकानदारों, ठेला और खोमचा संचालकों को भी इसका सीधा लाभ मिलता है। झांकी के दौरान दुकानदारों, खिलौना बेचने वालो, ठेला खोमचों वाले को भी कमाई का बेहतर मौका मिलता रहा है।