खैरागढ़ः शास्त्रीय नृत्य ने बिखेरी सांस्कृतिक छटा, डॉ. स्वप्निल कर्महे ने दी कथक की शानदार प्रस्तुति

सीजी क्रांति/खैरागढ़। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली द्वारा इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के सहयोग से आयोजित कथक नृत्य के कार्यक्रम में डॉ. स्वप्निल कर्महे ने शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. डॉ. आई.डी.तिवारी समेत विश्वविद्यालय परिवार शामिल हुआ।

अपने संबोधन में कुलसचिव प्रो.डॉ.आई.डी.तिवारी ने नृत्यांगना डॉ. स्वप्निल कर्महे की प्रस्तुति की सराहना की। उन्होंने आईसीसीआर के प्रारंभ और प्रयोजन पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालते हुए कुलपति पद्मश्री डॉ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर समेत विश्वविद्यालय परिवार के प्रति धन्यवाद प्रकट किया। कार्यक्रम विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.योगेन्द्र चौबे के संयोजन में संपन्न हुआ।
उल्लेखनीय है कि आईसीसीआर 1950 में स्थापित ऐसा भारतीय संस्थान है, जिसके संयोजन में भारत व अन्य राष्ट्रों के साथ सांस्कृतिक साझेदारी के माध्यम से बेहतर संबंध विकसित करता है। आईसीसीआर के संयोजन में कई राष्ट्रों के विद्यार्थी भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा लेते हैं। छत्तीसगढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय भारत के उन संस्थानों में शामिल है, जहाँ आईसीसीआर के संयोजन में वर्तमान में विभिन्न देशों के विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। आईसीसीआर होराइजन सीरीज के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन अधिष्ठाता डॉ. योगेन्द्र चौबे ने किया।

आयोजन की मुख्य प्रस्तोता नृत्यांगना डॉ. स्वप्निल कर्महे प्रख्यात कथक गरू डॉ. पी.डी. आशीर्वादम की शिष्या रहीं हैं तथा उन्होंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की है। कार्यक्रम में नृत्य संकाय की अधिष्ठाता प्रो. डॉ. नीता गहरवार, सहायक कुलसचिव द्वय विजय कुमार सिंह और राजेश कुमार गुप्ता, समस्त अधिष्ठाता, समस्त शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी समेत समस्त विश्वविद्यालय परिवार उपस्थित था।

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