सीजी क्रांति/खैरागढ़। पार्षद चुनने के लिए मतदान होने के साथ ही जीत-हार पर मंथन का दौर शुरू हो गया है। जीत के दावों को लेकर लोगों के बीच वैचारिक तकरार भी देखने को मिल रहा है। चुनावी चर्चा में लोगों के सुर ताल भी बिगड़ रहे हैं। सभी अपने-अपने चुनावी गणित पर सफाई दे रहे हैं। नतीजतन जीत के दावे को लेकर समर्थकों में तल्खियां बढ़ी हैं। इधर मतदान के बाद लोगों ने चुप्पी साध ली है। यहीं वजह है कि राजनीतिज्ञों को भी जीत-हार का समीकरण बैठाने में परेशानी हो रही है। हालांकि कांग्रेस-भाजपा मतदान के आंकड़ों पर नजर दौड़ा रही है। कहां कितना मतदान हुआ है, कहां कितना मतदान नहीं हुआ है और महिला वोटरों की भागीदारी कितनी है। इस तरह कांग्रेस-भाजपा के अलावा चुनावी गणित लगाने वाले राजनीतिज्ञ वोटों का आंकड़ा इकट्ठा कर रहे हैं। वहीं गुणनफल निकाल रहे हैं कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा।
मतदाताओं ने साधी चुप्पी
जीत-हार के दावों के बीच मतदाताओं ने मौन धारण कर लिया है। वे खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। पार्टी विशेष से जुड़े लोग ही जीत-हार का दावा कर रहे हैं। जबकि वोटर वोट करने के बाद चुप्पी साध लिए है। जिससे राजनीतिज्ञों को चुनावी समीकरण का आंकलन लगाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। वहीं वार्डो में परत-दर-परत सर्वे करने के बाद भी चुनाव की जमीनी हकीकत दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है।
48 घंटे के मैनेजमेंट ने बदला माहौल
सीएम की सभा के बाद कांग्रेस के प्रभारी सक्रिय हुए। उन्होंने अंतिम 48 घंटे में मैनेजमेंट का पासा फेंककर चुनावी माहौल को अपनी ओर झुका लिया। इधर मैनेजमेंट के मामले में भाजपा भी पीछे नहीं रही है। पार्टी के अलावा प्रत्याशियों ने भी वोटरों को रिझाने के लिए अपने स्तर पर खूब मेहनत की है। यहीं वजह है कि चुनावी माहौल को रोमांचक बना दिया है। हालांकि परिणाम के बाद ही पता चल पाएगा कि पार्षदी चुनाव में सत्ता सरकार का जादू चला है या फिर विपक्षी भाजपा भी रणनीति काम आयी है।