सीजी क्रांति/मनोज चेलक
खैरागढ़। शहर के किल्लापारा रहने वाले मोटवानी परिवार ने चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। वे जमीन का मुआवजा नहीं मिलने और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर हताश हो चुके है। अंतत: हताश-निराश होकर 20 वोटर वाले सहपरिवार चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
पीडि़त पक्ष के व्यापारी मोटवानी ने बताया कि करीब छह साल पहले सडक़ चौड़ीकरण की जद में आने वाले पीडि़तों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। शहर की राजनीति में अच्छा खासा रसूख रखने वाले लोगों को मुआवजा मिल गया है। लेकिन मीडिल क्लास व गरीब तबके लोगों की आपत्तियों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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चुनाव बहिष्कार की पूरी कहानी…उन्हीं की जुबानी
पीडि़त पक्ष के व्यापारी मोटवानी का कहना है कि सन 2014 में सडक़ चौड़ीकरण (किल्लापारा से डीएफओ बंगला तक) हुआ था, जिसे नगर पालिका ने करवाया था, उसमें कई लोगों को मुआवजा मिला है, हमारा मुआवजा गलत आया था, तो हमने दावा आपत्ति की थी, जिसके लिए कलेक्टर को आवेदन दिया गया था, सुधार के लिए। लेकिन यहां पर कोई सुधार नहीं हुआ।
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कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और आरआई को भी बोल चुके है। इस बारे में हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बार-बार कार्यालय का चक्कर काट रहे है, एक साल से ऊपर हो गया है। इस कारण हमने चुनाव का बहिष्कार किया है। चुनाव में कोई साथ नहीं देंगे। हमारे परिवार में 20 मतदाता है। बाकियों को मुआवजा मिल रहा है। रसूखदार लोगों को घर बैठे मुआवजा मिल रहा है और हम एक सामान्य आदमी है, जो देते है, जागरूकता दिखाते हैं पर हमारी कोई वैल्यू ही नहीं है। इस कारण हम लोग चुनाव बहिष्कार कर रहे है।
व्यापारी मोटवानी ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी को लेकर सोशल मीडिया में एक पोस्ट जारी किया है। जिसमें उन्होंने साफ तौर पर सपरिवार चुनाव बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं। लेकिन पोस्ट किए तीन दिन से ज्यादा हो गए है। लेकिन अब किसी ने भी मामला जानने की जोहमत नहीं उठाई है।
पीड़ित पक्ष की बात सुनी जाएगी। हम उनका आवेदन फिर से दिखा लेते है। रही बात चुनाव बहिष्कार की, तो चुनाव लोकतंत्र का त्योहार है, हम किसी भी व्यक्ति को अछूता नहीं रहने देंगे। पीड़ित पक्ष से बात करेंगे और समझाएंगे। -लवकेश ध्रुव, एसडीएम एवं निर्वाचन अधिकारी
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