सीजी क्रांति/खैरागढ़। नगर पालिका खैरागढ़ सीमा क्षेत्र में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नगर में अवैध कब्जा, अवैध मकान निर्माण, अवैध प्लाटिंग, रश्मिदेवी कॉलेज के पीछे बने आईएचएसडीपी कॉलोनी में मकानों का अवैध आवंटन, मुख्यमंत्री स्वांवलबन योजना के तहत बने दुकानों की अवैध खरीद-बिक्री, पालिका खुद की दुकानों से किराया वसूलने तक में फिसड्डी साबित हो रहा है। वार्डों में बन रहे सामुदायिक भवन या अन्य निर्माण कार्यों में भी तय मापदंड को दरकिनार किया जा रहा है। मूल्यांकन और सत्यापन कार्य तक आंखें मूंदकर किया जा रहा है।
ऐसे ही तमाम कार्य अवैध तरीके से यानी नियमों के विपरीत हो रहे हैं। यह सब पालिका प्रशासन की ढिलाई और राजनीतिक संरक्षण के बगैर संभव ही नहीं। सांठगांठ कर अवैधानिक कार्यों को छूट देने से जिम्मेदारों की अवैध कमाई जरूर हो जाती है लेकिन पालिका प्रशासन के खाते में कार्रवाई, जुर्माना से जो राजस्व बढ़ना चाहिए वह नहीं आ पाता। लिहाजा इसका असर पालिका के वित्तीय प्रबंधन पर पड़ता है। यही वजह है कि अनियमित कर्मचारियों को महीनों वेतन नहीं पाता।
बता दें कि खैरागढ़ में चारों नदियों के तटों पर अवैध कब्जों की बाढ़ आ गई है। रसूखदार नदियों को पाटना शुरू कर दिए हैं। अवैध कब्जेधारियों के हौसले बुलंद है, वहीं सही काम करने से पालिका के हाथ कांप रहे हैं। नगर में कई रसूखदार भवन अनुज्ञा लिए बगैर ही बहुमंजिला मकान बना रहे हैं। तो कई पालिका से ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर मंजिल मकान बनाने की अनुमति मिलने के बाद उस पर तीसरा और चौथ मकान तान रहे हैं। कॉमर्शियल कांपलेक्स में पार्किंग की जगह तक नहीं छोड़ी जा रही है। अस्पताल चौक समेत अन्य जगहों पर यह नजारा देखा जा सकता है।
नगर में अवैध प्लाटिंग का खेल अब भी चल रहा है। सिविल लाइंस में फिर से अवैध प्लाटिंग की तैयारी चल रही है! वैधानिक औपचारिकताएं पूरी किए बगैर प्लाटिंग के मंसूबे से जमीन तैयार की जा रही है! कई जगहों पर डायवर्सन किए बगैर बड़े टुकड़ों में प्लाट बेचने की शुरूआत हो चुकी है! कुछ माह पहले नगर पालिका ने आधी-अधूरी जानकारी लेकर अवैध प्लाटिंग करने वाले भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने दिखावा किया, कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर करने पुलिस को सूचना भी भेजी लेकिन लेकिन पुलिस ने आधी-अधूरी जांच रिपोर्ट होने की बात कहकर एफआईआर करने से इंकार कर दिया। हैरानी की बात यह है कि पालिका प्रशासन ने दोबारा जांच ही नहीं किया। इस तरह से भू-माफियाओं को बचने और बचाने का खेल कर दिया गया।
इसी तरह से नदि किनारे बाढ प्रभावित लोगों को और आवासहीन नागरिकों के लिए करोड़ों की लागत से रानी रश्मि देवी सिंह कॉलेल के पास आईएचएसडीपी के तहत कॉलोनी बसाई गई। वहां मकानों के आवंटन में जबर्दस्त अनियमितता बरती गई। सैकड़ों लोगों ने यहां मकान तो ले लिया लेकिन मकान की किश्त जमा नहीं किया और न पालिका ने उनसे पैसे वसूलने के प्रयास किए। यहां कई अपात्र लोगों को राजनीतिक इशारे में मकान आवंटित कर दिया गया।