सीजी क्रांति/खैरागढ़। बीते 10 मार्च को 8 पेटी शराब की तस्करी मामले में अततः पुलिस ने खैरागढ़ शराब दुकान के सुपरवाईजर हेमंत वर्मा के खिलाफ जुर्म दर्ज कर जेल भेज दिया। इसके पहले शराब को दल्ली के प्रवीण राजपूत के पास पहुंचाने के मामले में ट्रक चालक डीलेश के खिलाफ ही प्रकरण बनाया गया था। इस मामले को सीजी क्रांति ने प्रमुखता से उठाया। आखिरकार 13 मार्च को शराब दुकान के सुपरवाईजर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया गया। यह मामला यही खत्म नहीं होता। यदि जिला प्रशासन के उच्चाधिकारी ईमानदारी और सूक्ष्मता से जांच करेंगे तो आबकारी विभाग के अफसरों की संलिप्तता भी सामने आएगी। हालांकि इस प्रकरण के उजागर होने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों शराब के अवैध तस्करी में मिलीभगत है।
बता दें कि 10 मार्च को खैरागढ़ के शराब दुकान में शराब की खेप आई। इसमें 8 पेटी को दुकान के सुपरवाईजर ने ट्रक चालक को दल्ली निवासी प्रवीण राजपूत का नंबर दिया और उससे संपर्क कर 8 पेटी शराब वहां छोड़ने कहा। इन 8 पेटी शराब के बदले हेमंत वर्मा के मोबाइल में आनलाईन पेमेंट होने की बात भी जांच में सामने आई है।
अब सवाल यह उठता है कि जब शराब दुकानों में शराब अनलोड होता है तब उसकी गिनती भी होती है। दुकान में शराब बेचने के दौरान स्केनिंग करने का भी प्रावधान है। सीधा और स्पष्ट बात यह है कि शराब दुकान में जितनी शराब की बोतलें आती है और बिकती उसके हिसाब-किताब में हेराफेरी कर सरकारी महकमे के अफसर ही अवैध शराब बेचवा रहे हैं।
पुलिस ने इस मामले में सुपरवाईजर के खिलाफ तो कार्रवाई कर दी, लेकिन अभी भी जांच अधूरी है! इस मामले में आबकारी विभाग के आलाअधिकारियों की संलिप्तता है यह काफी हद तक स्पष्ट है। जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया तो शराब तस्करी के इस मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी भी नपेंगे।
चखना सेंटर वालों से वसूली
जानकारी मिली है शराब दुकान के समीप चखना सेंटर चलाने वालों से भी शराब दुकान के कर्मचारी पैसों की वसूली कर रहे हैं। प्रति चखना दुकानों से 100 रूपए की वसूली हो रही है। गरीब दुकानदार इसकी शिकायत करने सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन दबी जुबान अपना दुखड़ा लोगों को सुना रहे हैं। आखिरकार यह सब करने के पीछे अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का दबाव बताया जा रहा है। इसके पहले भी शराब दुकान में कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाले प्लेसमेंट एजेंसी के एरिया मैनेजर ने कर्मचारियों से जबरन पैसा वसूली का दबाव बनाया था। इसके खिलाफ शराब दुकान कर्मचारियों ने दुकान बंद कर विधायक यशोदा वर्मा के निवास में हल्ला बोला था। लेकिन इस मामले में एरिया मैनेजर के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय विरोध करने वाले कर्मचारी को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यानी आबकारी विभाग का प्लेसमेंट एजेंसी पर दबाव है और प्लेंसमेंट एजेंसी अफसरों की अनुचित मांग और व्यवहार को पूरा करने के लिए निचले स्तर के कर्मचारियों पर उगाही कर दबाव बना रहे हैं। यही वजह है कि कई बार ऐसी भी शिकायते आई है कि शराब खरीदने गए लोगों को उनका बचा पैसा भी वापस नहीं किया जाता। इसे लेकर कई बार मारपीट और गाली-गलौज जैसी घटनाएं आम बात हो चुकी है।
कलेक्टर कह रहे उन्हें पहले शिकायत मिली थी, अब तो पुख्ता साक्ष्य है, कार्रवाई कीजिए
कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर ने एक मीडिया संस्थान को दिए अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस मामले में आबकारी विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट लेने के बाद कार्रवाई करेंगे। उन्होंने यह भी स्वीकारा है कि ऐसी शिकायत उन्हें पहले भी मिलती रही। एरिया मैनेजर द्वारा जबरन वसूली किए जाने का भी उन्हें संज्ञान है।
अब सवाल यह उठता है कि जिले के कलेक्टर को जब इन अवैध गतिविधियों की शिकायत मिलती रही है तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। खैर अब तक शिकायतों के पुख्ता साक्ष्य तक सामने आ चुके हैं। अब देखना है कि इस पूरे प्रकरण में कलेक्टर कार्रवाई करते हैं या पिछले दिनों शिक्षकों की पदोन्नति व पदस्थापना मामले की तरह लीपापोती की जाती है।
एसपी के मार्गदर्शन में कार्रवाई- टीआई
खैरागढ़ थाना प्रभारी राजेश देवदास ने बताया कि इस मामले में एसपी अंकिता शर्मा के मार्गदर्शन में कार्रवाई की गई है। एसपी का स्पष्ट निर्देश है कि क्षेत्र में जुआं, सट्टा, अवैध शराब जैसे गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी है। इसी कड़ी में खैरागढ़ के शराब दुकान के सुपरवाईजर हेमंत वर्मा के खिलाफ 34(2), 39(ग), 42 आबकारी एक्ट के अपराध दर्ज कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।