सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। भाजपा प्रत्याशी विक्रांत सिंह के मुकाबले कांग्रेस के दर्जनों नेताओं ने बगैर कोई तैयारी के विधानसभा टिकट के लिए दावेदारी कर दी है। अब खैरागढ़ सीट से मौजूदा विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा, पूर्व विधायक गिरीवर जंघेल और कृषि उपज मंडल अध्यक्ष दशमत जंघेल का नाम पैनल में शामिल किए जाने की चर्चा है। ये तीन नाम ही ऐसे हैं जो बाकी दावेदारों की अपेक्षा कांग्रेस के समीकरण में फिट बैठ रहे हैं।
यशोदा सीटिंग एमएलए हैं। वहीं गिरीवर जंघेल पूर्व विधायक रह चुके हैं। वहीं दशमत जंघेल जिला पंचायत सदस्य चुनाव में विक्रांत सिंह के खिलाफ पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़कर खुद के रणनीतिक कौशल और प्रतिभा व जनसमर्थन का अहसास करा चुकी हैं।
यशोदा वर्मा ने अपने कार्यकाल में क्षेत्र के विकास के लिए कोई प्रोजेक्ट लाने में असफल रहीं है। हालांकि उनके चुनाव के दौरान सरकार ने जो घोषणाएं की, उनमें सभी बड़े वादे पूरे हुए, पर इसका श्रेय यशोदा को न मिलकर सीएम भूपेश बघेल के खाते में गया है। वहीं गिरीवर जंघेल सोशल मीडिया में एक्टिव हो चुके हैं। लेकिन दमखम, भाषण शैली और प्रभावी व्यक्त्तिव के मामले में वे भी विक्रांत के सामने नहीं टिक पाएंगे।
हालांकि गिरवर जंघेल को टिकट मिलने की स्थिति में क्षेत्रवाद, जातिवाद में वे विक्रांत सिंह को घेर सकते हैं। अब तीसरी दावेदार दशमत जंघेल ने जिला पंचायत चुनाव में विक्रांत के खिलाफ लड़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी है। वर्तमान में वे कृषि उपज मंडी की अध्यक्ष भी बनी। इसके अलावा पार्टी हाईकमान में उनकी पहुंच और पकड़ भी बराबर बनी हुई है।
यशोदा वर्मा व्यक्तिगत तौर पर स्वाभाव, व्यवहार में काफी सरल, सहज और सुलझी हुई हैं। लेकिन उनके कार्य में नीलांबर वर्मा के अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप के कारण आमजनमानस में नकारात्मक संदेश चला गया है!
अब कांग्रेस में दावेदारों की फौज खड़ी हो गई है। इसकी वजह से इन्ही में से किसी एक को टिकट मिला तो बाकी दावेदार प्रत्याशी का साथ देंगे इस पर संशय बना हुआ है। इधर भाजपा प्रत्याशी घोषणा होने के बाद उनके पास पर्याप्त समय है कि वे अंदरूनी बगावत की स्थिति में डेमेज कंट्रोल कर लेंगे, लेकिन कांग्रेस में प्रत्याशी को लेकर अभी तक स्पष्ट राय कायम नहीं की जा सकी है।