सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। दिसंबर 2021 में खैरागढ़ के पूर्व विधायक स्व. देवव्रत सिंह के गांव उदयपुर में बलवाकांड कराने के आरोप में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष और देवव्रत सिंह करीबी रहे गुलशन तिवारी और दादू खान को गिरफ्तार किया गया है। वहीं 5 अन्य लोगों को 41-2 के तहत नोटिस जारी किया गया है। इस मामले में अभी और भी गिरफ्तारी हो सकती है। मंगलवार को उसे न्यायालय में पेश कर न्याययिक रिमांड की मांग पुलिस ने की है। न्यायालय की अनुमति मिली तो गुलशन को जेल की हवा खानी पड़ेगी।
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बता दें कि इस बीच जन चर्चा थी कि प्रशासन ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है! जांच प्रक्रिया अटकी हुई है! खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला बनने के बाद एक बार यह उम्मीद जताई गई कि उदयपुर बलवाकांड की फाइल पर पड़ी धूल एक बार फिर झड़ाई जाएगी। पुलिस बलवा के आरोपियों को सलाखों के पीछे भेजने में सफल होगी। आखिरकार जिले की एसपी अंकिता शर्मा के निर्देशन में मामले की सूक्ष्मता से जांच कराई गई और उदयपुर बलवाकांड के आरोपियों को दबोच़ लिया गया।
चूंकि चुनावी आचार संहिता प्रभावी है। इस वजह से इस मामले में राजनीतिक प्रभाव व हस्तक्षेप शून्य की स्थिति में है। जिला पुलिस लगातार बड़े मामले और बड़े आरोपियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। लिहाजा जनता का पुलिस पर विश्वास पहले की अपेक्षा बढ़ गया है। वही अपराधियों के हौसले पस्त हैं। खासकर समााजिक अपराध लगभग नियंत्रण में है।
बहरहाल उदयपुर में हुआ बलवा सुनियोजित था! उपद्रवियों ने पुलिस पर भी पत्थर बरसाए थे। लाठी-ठंडे से पुलिस गाड़ियों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया था। उदयपुर ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में भी दहशत का माहौल था। यदि पुलिस ने मुस्तैदी से भीड़ को बिखराकर हालात को काबू नहीं किया होता तो किसी की जान भी जा सकती थी!
बता दें कि खैरागढ़ विधायक व राजा स्व. देवव्रत सिंह की मौत के करीब 56 दिनों बाद गुरुवार को उदयपुर स्थित पैलेस का ताला तो खुला, लेकिन विवादों के चलते कोई फैसला नहीं हो पाया! पैलेस को दोबारा सील करने की खबर के बाद समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया।
देवव्रत की पत्नी विभा सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते उग्र हुई भीड़ ने पैलेस के मेन गेट को ही तोड़ दिया! हंगामे को शांत कराने पुलिस ने लाठी लहराई, जिसे देख भड़के ग्रामीणों ने खैरागढ़ एसडीओपी दिनेश सिन्हा के साथ गंडई एसडीओपी व पुलिस के तीन बस और कार में तोड़फोड़ कर दी। यही नहीं राजपरिवार के सदस्यों की गाड़ियों का कांच भी उग्र भीड़ ने तोड़ दिया था।
लाठीचार्ज कर पुलिस ने ग्रामीणों को खदेड़ा, जिसके बाद रात करीब 11 बजे प्रशासनिक टीम ने पैलेस को सील किया। रात में उग्र हुई भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। इस मामले में छुईखदान पुलिस ने अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ बलवा का मामला दर्ज किया था। लाठीचार्ज कर ग्रामीणों को खदेड़ने के बाद पुलिस ने रात में उदयपुर में पैदलमार्च भी किया। गांव में कर्फ्यू जैसा माहौल रहा। दूसरे दिन गांव में सन्नााटा पसरा रहा।
जांच प्रक्रिया में विलंब के पीछे राजनीतिक दबाव की चर्चा थी! हैरानी की बात यह है कि घटना स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात थी। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने पथराव और लाठियां भांजी। इसके बाद भी आरोपियों की पहचान में सालों लग गए।
घटना स्थल पर दूसरे दिन बड़ी संख्या में पत्थर पड़े मिले। गलियों में लाठियां बिखरी पड़ी थी। इन्हे ध्यान में रखते हुए बलवा सुनियोजित थी, और लोगों को उकसाया गया, यह शंका सत्य के करीब लगती है! ऐसे ही कई तथ्यों की जांच उपरांत काफी पहले ही आरोपियों को पकड़ा जा सकता था लेकिन अततः पुलिस ने आरोपियों को दबोच ही लिया।