0 कलेक्टर के नहीं आने से बढ़ी नाराजगी। जनसुनवाई रद्द करने की मांग पूरी नहीं होने होने से भड़के किसान
सीजी क्रांति न्यूज/ खैरागढ़
संडी चूना पत्थर परियोजना के विरोध में करीब 40 गांवों के हजारों ग्रामीण किसानों में जबर्दस्त गुस्सा है। 11 दिसंबर को होने वाली जनसुनवाई को रद्द करने की मांग को लेकर शनिवार को हजारों किसानों ने ट्रैक्टर्स रैली निकाली। छुईखदान में प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि पुलिस जवानों को उल्टे पांव भागना पड़ा। ग्रामीणों को शांत करने पुलिस ने बल प्रदर्शन भी किया। पुलिस और प्रशासन ग्रामीणों की नाराजगी को ठीक से भांप नहीं पाई। लिहाजा कानून व्यवस्था कुछ देर के लिए बिगड़ गई। प्रदर्शन उपद्रव में बदल गया। अच्छी बात यह रही कि काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने हालात को समय रहते नियंत्रित कर लिया। वर्ना हालात ऐसे बन चुके थे जिससे अप्रिय घटना भी हो सकती थी। इस प्रदर्शन में किसान नेता सुदेश टीकम भी पहुंचे थे। वहीं क्षेत्र के पूर्व विधायक गिरीवर जंघेल, सुधीर गोलछा, लुकेश्वरी जंघेल, कामदेव जंघेल, दशमत जंघेल समेत अन्य प्रमुख नेताओं ने इस आंदोलन की अगुवाई की।
करीब साढ़े तीन बजे प्रदर्शनकारी छुईखदान पहुंच चुके थे। एसडीएम को जनसुनवाई रद्द करने की मांग से अवगत कराते हुए ग्रामीणों ने कलेक्टर से सीधे बात करने की मांग करने लगे। लेकिन कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल मौका स्थल नहीं पहुंचे। इससे नाराजगी बढ़ी। शाम ढलते तक लोगों की नाराजगी उग्र होने लगी। ग्रामीण अपने नेतृत्वकर्ताओं की बात सुनने को राजी नहीं हुए। हालात को शांत करने व गुस्साई भीड़ को शांत करने अपनी बात पहुंचाने मौका स्थल पर माइक की व्यवस्था नहीं हो सकी।
बुंदेली चौक से रैली की शुरुआत हुई, जो उदयपुर होते हुए छुईखदान की सीमा से लगे आमगांव चौक तक ग्रामीण ट्रैक्टर्स से पहुंचे। उसके बाद जिले के पुलिस बल और एसपी लक्ष्य शर्मा की मौजूदगी में ग्रामीण पैदल छुईखदान एसडीएम कार्यालय पहुंचे। जहां हजारों की संख्य में लोग जमीन पर बैठ गए। नारेबाजी हुई। कलेक्टर को बुलाने की मांग की गई। श्रीसीमेंट फैक्ट्री के लिए होने वाली जनसुनवाई रद्द किए जाने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई। जय जवान, जय किसान का नारा गुंजने लगा।
शाम ढलने के साथ ही माहौल उग्र हो गया। गुस्साएं पुलिस के बेरीकेट्रस को पटकने लगे। पुलिस ने उन्हे रोकने की तमाम कोशिश की। लेकिन हालात अचानक नियंत्रण से बाहर हो गया। ग्रामीण पुलिस की ओर बढ़ने लगे। देखते ही देखते ही उपद्रव की स्थिति निर्मित हो गई। पुलिस खुद असुरक्षित महसूस करने लगी। और ग्रामीणों को देखकर भागने लगी। सोशल मीडिया में इसके वीडियो वायरल होने लगे। अतिरिक्त बल की आवश्यकता महसूस हुई। अच्छी बात यह रही कि पुलिस ने पलटकर कार्रवाई की। उपद्रवियों को शांत कराया। आखिरकार छुईखदान में कुछ देर के लिए बिगड़ी कानून व्यवस्था पुन: बहाल करने में कामयाबी मिली।
हालात पूरे समय काबू में रहा लेकिन शाम ढलते तय प्रदर्शनकारियों को वापस लौटाने में प्रशासन नाकामयाब रहा। जिसका परिणाम यह हुआ कि स्थिति पर नियंत्रण टूटने लगा। फलस्वरुप उपद्रव की स्थिति निर्मित हुई।
अब हालात बिगड़ने के लिए जवाबदेही तय किए जाने की आवश्यकता है। इस मामले की जांच की आवश्यकता है कि माहौल खराब करने की सुनियोजित साजिश पहले से तय थी यह परिस्थिति जन्य स्थिति बनी। यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएगा।
इस पूरे प्रोजेक्ट पर एक नजर
2022 में कांग्रेस सरकार में निकला टेंडर, 2023 में श्री सीमेंट लिमिटेड को मिला ठेका
जिला केसीजी के छुईखदान ब्लाक में सीमेंट बनाने लायक चूना पत्थर मिला है। इसके लिए खनिज विभाग 404 हेक्टेयर जमीन चिन्हांकित की है। इसके दायरे में ग्राम पंडरिया, विचारपुर, संडी, बुंदेली और भरदागोंड गांव आ रहा है। राज्य में जब कांग्रेस की सरकार थी। तब 9 दिसंबर 2022 में खनिज विभाग ने इस क्षेत्र से चूना पत्थर निकालने टेंडर जारी किया। टेंडर में 25. 05 प्रतिशत उंची बोली लगाने पर मेसर्स श्री सीमेंट लिमिटेड को यह टेंडर मिल गया। इसके उपरांत श्री सीमेंट कंपनी अपफ्रंट पेमेंट का 20 प्रतिशत की प्रथम किस्त 22 मई 2023 को आठ करोड़ 52 लाख 57 हजार 202 रुपए खनिज विभाग में जमा किए। श्रीसीमेंट को संडी चूना पत्थर ब्लाक में खनन के लिए 50 लीज पर दे दिया गया है।
किस गांव में कितने हेक्टेयर जमीन में होगी खुदाई
संडी- साढ़े चार हेक्टेयर
विचारपुर- 185 हेक्टेयर
पंडरिया-164 हेक्टेयर
बुंदेली- 50 हेक्टेयर
भरदागोंड- डेढ़ हेक्टेयर
404 हेक्टेयर में मात्र 30-40 हेक्टेयर सरकारी जमीन
इस प्रोजेक्ट में 404 हेक्टेयर जमीन चिन्हांकित की गई है। जिसमें मात्र 30-40 प्रतिशत जमीन ही सरकारी है। बाकी किसानों की कृषि जमीन है। यह पूरा क्षेत्र कृषि के लिए उपजाऊ जमीन है। किसानों की यह चिंता है कि सीमेंट फैक्ट्री खुल गई तो प्रदूषण बढ़ेगा। जिसका दुष्प्रभाव उनकी उपजाऊ जमीन पर पड़ेगा। धीरे से कृषि से मिलने वाला रोजगार उनसे छिन जाएगा। कई किसान भूमिहीन हो जाएंगे। जिससे उन्हें पलायन या मजदूर बनने विवश होना पड़ेगा।

