Previous slide
Next slide

92 साल से देश में ओबीसी की जनगणना नहीं हुई, मंडल आयोग की सिफारिशों में मात्र 2 ही लागू हुए, कहीं न कहीं यह देश के विकास में बाधक-विप्लव साहू

सीजी क्रांति/खैरागढ़। देश की करीब आधी आबादी, अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना सन 1931 के बाद से नहीं हुई। 1990 में ओबीसी के कल्याण व उन्हें प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में 30 सिफारिशें लागू करने की अनुशंसा की, जिसमें जमीन पर दो को ही लागू किया जा सका है। यही वजह है कि देश में लगभग आधी आबादी होने के बाद भी ओबीसी समाज आज भी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। वोटों के समीकरण कहें या जातीय धु्रवीकरण के कारण ओबीसी राजनीति में जरूर प्रतिनिधित्व करते दिख जाएंगे लेकिन कहीं न कहीं निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी ओबीसी समाज को मिलने वाले वास्तविक अधिकार को लेकर राज्य व देश के सदनों में आवाज बुलंद नहीं कर सके। ओबीसी समाज को जो मिला, वह उसी में संतुष्ट हो गए, लेकिन अपने वाजिब हक को पाने आज तक संगठित प्रयास नहीं कर सका। इससे नुकसान केवल ओबीसी वर्ग को ही नहीं हुआ, बल्कि इस समानता की स्थिति के कारण देश का विकास भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ओबीसी की जनगणना किए बगैर कैसे इतने बड़े वर्ग के विकास की योजनाएं बनाई जा सकेगी? लिहजा देश में ओबीसी वर्ग की जनगणना और 1990 में ओबीसी के कल्याण व उन्हें प्रतिनिधित्व देने के उद्देश्य से मंडल कमीशन की सभी 30 सिफारिशों को लागू करने की आवश्यकता है।

3 जून को पदुललाल पुन्नालाल बख्शी स्कूल के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय जनगणना को लेकर आयोजित एकेडमिक सेमिनार आयोजित की गई। सेमिनार के प्रमुख वक्ता रहे विप्लव साहू, सोशल एक्टिविस्ट और सभापति जिला पंचायत राजनांदगांव, एड एस के वर्मा एवं इंजी महेंद्र साहू और कार्यक्रम का समन्वयन नीलेश यादव और देवहूति साहू द्वारा किया गया। कार्यक्रम से उपस्थित सभी साथियों को ज्ञान के साथ नई ऊर्जा का संचार हुआ।

यह कार्यक्रम सभी वर्गों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक एवं राजनीतिक स्थिति का दर्पण और जरूरतों के साथ समग्र विकास दिखाने के लिए आयोजित किया था। 1931 के बाद ओबीसी और सामान्य वर्ग की गिनती नहीं होने के क्या-क्या कारण रहे, इसका पूरे समाज को क्या लाभ एवं हानि हुए। सरकारों द्वारा वर्गों के लिए उठाए कदम, विज्ञान के नए तकनीकों से होने वाली मदद एवं नुकसान और अन्य विषयों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम के दूसरे पड़ाव में हुए प्रश्न उत्तर सेशन जिसमें हाल ही में राज्य सरकार के द्वारा निकाली गई 20000 नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्ग का सिर्फ 1200 वैकेंसी होने पर चर्चा हुई। वर्गों के उत्थान के लिए यह पहला प्रयोग सम्मेलन रहा। इसलिए कार्यक्रम को न्यूनतम 50 लोगों के लिए ही आयोजित की गई थी, जिसमें 42 लोग उपस्थित हुए। अगले कार्यक्रम में ज्यादा लोगों को ऐसे एकेडमिक सम्मेलन में हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा।

सेमिनार में उपस्थित कर्मचारी साथी गण कोमल नारायण वर्मा, गोवर्धन पटेल, महेश कुमार साहू, समीर सोनी, हरीश साहू दूजराम साहू और रमाकांत वर्मा, भागवत दास साहू, बरसात कावरे, संतोष सिन्हा, आसाराम, रेखराम साहू, गेंदलाल, वीरेंद्र जंघेल, पवन साहू, ढाल राम साहू, अमर वर्मा, फुलदास साहू, भोलाराम साहू, मनोज जंघेल, विमल बोरकर, अनिल साहू, डॉ तूलेश साहू, शुभम साहू, भुवन लाल वर्मा, ललित वर्मा, धु्रव वर्मा, महेंद्र साहू, मनोज कुमार पटेल, भुनेश्वर वर्मा, भागीरथी साहू, कोमल साहू, हसीना जोशी, अश्वनी लहरे, डब्बू वर्मा, मोहन साहू, सुरेश साहू, पूरन साहू, पूसन साहू, जनेऊ वर्मा, चिंताराम वर्मा, भारती यादव, किरण यादव एवं रानू यादव आदि सभी ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया। अंत में उपस्थित सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए विप्लव साहू ने जल्द ही युवाओं के हित वाले विषय को लेकर फिर सेमिनार आयोजित करने की बात कही।

CG Kranti News channel

Follow the CG Kranti News channel on WhatsApp

Leave a Comment

ताजा खबर

error: Content is protected By Piccozone !!