सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। बीते करीब 7 दिन के भीतर खैरागढ़ की सड़क 6 लोगों के खून से रंग गई। इनमें 3 लोगों की मौत हुई। वहीं 3 लोग गंभीर रूप से घायल है जिनकी हालत नाजूक बताई जा रही है। प्रशासन के लिए यह महज हादसे होंगे, जो रिकार्ड में दर्ज हो जाएंगे लेकिन जिनके घरों से अर्थी उठी है, उनके परिजनों के लिए कभी न भूलने वाला नासूर हो गया है। उनके आंसू समय के साथ सूख जाएंगे लेकिन ऐसे हादसों से सबक लेकर सार्थक समाधान की दिशा में ईमानदारी से ठोस प्रयास करने की जरूरत है ताकि भविष्य में सड़क दुर्घटनाओं को भले ही पूरी तरह रोका न जा सके लेकिन नियंत्रित तो किया जा सके।
मंडला में तेज रफ्तार धान परिवहन करने वाले ट्रक ने 14 साले के बच्चे को कुचल दिया। धमधा मार्ग में पहले भी बड़े वाहनों की तेज रफ्तार ने गंभीर दुर्घटनाओं को अंजाम दिया है। वहीं एक दिन पहले शुक्रवार को अमलीपारा में मुतेड़ा नवांगांव निवासी 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई। मकरध्वज नाम का वह युवक बीटीआई का छात्र था। बेहतर भविष्य का सपना संजोए यह युवक पढ़ाई कर रहा था। पर लापरवाह बाइक चालक की ठोकर से उसकी मौत हो गई।
वहीं एक दिन पहले अमलीपारा से ही कुछ दूरी पर स्थित सोनेसरार में दो बाइक आपस में टकरा गए। इनमें सवार तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें उपचार के लिए रेफर कर दिया गया है। उनके गंभीर अवस्था को देखते हुए पुलिस अभी तक उनके बयान तक नहीं ले सकी है।
वहीं ईतवारी बाजार में सांड के हमले से इंदिरा कला संगीत विवि में कथक की छात्रा श्रेया करकरे ने भी शुक्रवार को दम तोड़ दिया। श्रेया करकरे की मौत की वजह सीधे तौर पर यातायात व्यवस्था से तो नहीं है लेकिन सड़क में खुला सांड पिछले कुछ दिनों से लगातार यातायात व्यवस्था को बाधित कर रहा था। लोगों पर हमले कर रहा था। स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक थी लेकिन उसका समाधान नहीं किया गया। आखिरकार कला की दुनिया में अपना भविष्य संवारने का सपना संजोए श्रेया की जान चली गई। अफसोस खैरागढ़ की सड़कों पर यातायात व्यवस्था को बाधित कर आवारा घूम रहे मवेशियों की धरपकड़ शुरू नहीं हो सकी।
इसके पहले भी करमतरा, ठेलकाडीह समेत जालाबांध थानांतर्गत पंचायत सचिव की सड़क हादसे में जान जा चुकी है। जिला मुख्यालय स्थित कलेक्टोरेट चौक के पास भी जाने गई और हादसों में दर्जनों घायल हुए पर इसे रोकने प्रशासनिक प्रयास नहीं हुए।
ब्लेक स्पॉट की सूची जारी की गई। पर उसमें सुधार की जो कोशिशे होनी चाहिए थी वह अब तक नहीं हो सका। रोड इंजीनियरिंग के मापदंडों कहीं न कहीं गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। लिहाजा हादसों का सिलसिला जारी है। इन हादसों के लिए सिर्फ प्रशासन पर उंगली उठाना भर से कुछ नहीं नहीं होगा, आम जनता के बीच ट्रैफिक रूल्स और ट्रैफिक सेंस की कमी भी हादसों को बढ़ावा दे रही है।