सीजी क्रांति/खैरागढ़। क्षेत्र के कद्दावर नेता विक्रांत सिंह के साथ छात्र राजनीति में सक्रिय रहे प्राणेश वैष्णव ने करीब 15 साल भाजपा की राजनीति में हाशिए पर रहने के बाद पिछड़ा वर्ग मोर्चा के महामंत्री पद के साथ एक बार फिर पार्टी की मुख्य धारा में वापसी की है। प्राणेश वैष्णव उस दौर में भाजपा से जुड़े थे, जब खैरागढ़ में पूर्व विधायक स्व. देवव्रत सिंह का दबदबा हुआ करता था। वे प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। अजीत जोगी मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
प्राणेश वैष्णव छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के शुरूआती दौर में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं। रानी रश्मि देवी कॉलेज में एबीवीपी का परचम फहराने में प्राणेश वैष्णव ने अहम भूमिका निभाई थी। तब प्राणेश की पहचान एक कुशल संगठनकर्ता और रणनीतिकार के रूप में थी। उस दौर में आज के जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह के नेतृत्व में रश्मि देवी कॉलेज में 4 छात्रसंघ चुनाव लड़े गए, जिनमें 3 चुनावों एबीवीपी के पैनल जीत दर्ज की थी। इनमें एक चुनाव में एबीवीपी ने निर्विरोध चुनाव जीता था, जिसमें प्राणेश वैष्णव ने भी महत्वूपर्ण भूमिका निभाई थी। वहीं एक चुनाव में एनएसयूआई ने बाजी मारी थी।
बता दें कि प्राणेश वैष्णव की सक्रिय राजनीति में वापसी किए जाने के बाद उस दौर के छात्र राजनीति में रहे लोगों की पार्टी में एक बार फिर चहलकदमी बढ़ सकती है। हालांकि बताया यह भी जा रहा है कि प्राणेश वैष्णव को राजनीति की मुख्य धारा में वापस लाने और भाजपा पिछड़ा वर्ग महामंत्री बनाने में भाजपा नेता नरेंद्र श्रीवास की बड़ी भूमिका है।
हालांकि प्राणेश वैष्णव जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह के काफी करीबी और पुराने समर्थक रहे हैं। लेकिन भाजपा के 15 साल के सत्ता में प्राणेश वैष्णव राजनीति से दूर हो गए। दरअसल पारिवारिक जिम्मेदारी के बोझ से लदे प्राणेश राजनीति की दौड़ में पिछड़ते गए। संघर्ष की आंच में तपकर प्राणेश वैष्णव की पहचान नगर के प्रतिष्ठित कारोबारी की बन गई। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 15 साल जब तक भाजपा की सत्ता रही उस बीच प्राणेश वैष्णव और उनके जैसे अन्य कार्यकर्ताओं की सुध क्यों नहीं ली गई।