सीजी क्रांति न्यूज/रायपुर। छत्तीसगढ़ में सियासी माहौल पूरे शबाब पर है। विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-भाजपा कार्यालयों में बैठकों का सिलसिला जारी है। इस बीच टिकट के बेतरतीब दावेदारों में से प्रत्याशी चयन में कई समीकरणों पर माथापच्ची करनी पड़ रही है। इस बार के चुनाव में मजेदार बात यह है कि कई दावेदारों को इंटरव्यू का भी सामना करना पड़ रहा है। भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस इस फार्मूले पर काम कर रहा है। यानी दावेदारों से ऐसे सामान्य किंतु उलझे व व्यावहारिक सवाल पूछे जा रहे हैं कि कई दावेदारों के पसीने छूट रहे हैं।
विधानसभा में जातिगत समीकरण से लेकर सामाजिक आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों पर भी मंथन हो रहा है। भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस के बड़े नेताओं को अब दावेदारों की फौज को देखकर भीतरघात होने का भय सता रहा है। यही वजह है कि टिकट वितरण से पहले ही इस तरह की बैठक लेकर उम्मीदवारों का मन टटोला जा रहा है।
दावेदारों से पूछा जा रहा है कि टिकट मिला तो जीतेंगे या नहीं। अगर चुनाव जीतते हैं तो इसका आधार क्या होगा। जवाब में दावेदार अपनी खुद की तारीफ करते और दावेदारी पेश करते तो उनका सीधा कटाक्ष था कि अपनी नहीं कांग्रेस की बात करिए। आपके अलावा विधानसभा से और कौन गंभीर प्रत्याशी हो सकते हैं, जो चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं। यदि आपको टिकट नहीं मिला तो आपके नजरिए से कौन जिताऊ उम्मीदवार बन सकते हैं। उनकी जीत की संभावना कितनी रहेगी।
बड़े नेता ऐसी बैठकों में दावेदारों को अपनी बात रखने के बजाए उम्मीदवार की बात रखने के लिए कह रहे हैं। साथ ही दावेदारों से यह भी पूछा जा रहा है कि आपको किसी कारणवश उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है तो आप काम करेंगे या नहीं। भीतरघात तो नहीं करेंगे। माहौल खराब करने के लिए पर्दे के पीछे काम तो नहीं करेंगे। दूसरे और तीसरे नंबर के उम्मीदवार का नाम बताइए जिसके बारे में सोचा जा सके और जीत की संभावना तलाशी जा सके।