सीजीक्रांति/खैरागढ़। सावन महिने में पूरा खैरागढ़ शिवमय होगा। खासकर रुद्राभिषेक को लेकर भव्य आयोजन की तैयारी शुरू हो गई है। इसके साथ ही अन्य कार्यक्रम भी आयोजित की जाएगी। 14 जुलाई से आरंभ होने जा रहे सावन माह को लेकर सिद्धपीठ श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर में परंपरा अनुसार पूरे माह भर रुद्राभिषेक होने जा रहा है। वहीं श्री राम गोवा समिति की ओर से अटल उद्यान के समीप 501 महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा।
इस आयोजन में बिलासपुर के रतनपुर निवासी पं. सानिध्य महाराज पूजन संपन्न कराएंगे। गोसेवक कमलेश रंगलानी ने बताया कि श्री राम गोसेवा समिति का यह दूसरा आयोजन होगा। इससे पहले उमराव पुल में 108 महारुद्राभिषेक का आयोजन किया गया था। इस बार संख्या बढ़ाकर 501 कर दी गई है।
दरअसल,सावन माह में पार्थिव शिवलिंग के अभिषेक विशेष महत्व बताया गया है। श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर में बीते कई वर्षों से सावन माह में पार्थिव शिवलिंग के अभिषेक का आयोजन किया जाता रहा है। रुद्राभिषेक की उसी कड़ी को आम जनमानस के लिए भी पूजन अवसर के रूप में खोला जा रहा है। श्रद्धालु निर्धारित पूजन राशि खर्च कर नियमित रूप से पार्थिव शिवलिंग अभिषेक में हिस्सा ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक सोमवार को आयोजित राजसी रुद्राभिषेक में आम जन हिस्सा ले सकते हैं।
ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष रामकुमार सिंह ने बताया कि मंदिर में सावन पर्व पर रुद्राभिषेक की परंपरा बीते कई वर्षों से चली आ रही है। बाबा के प्रति क्षेत्र के धर्मप्रेमियों की बढ़ती आस्था को ध्यान में रखते हुए इस बार सावन पर्व में माह भर सभी के पूजा के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।
ऐसा है पार्थिव लिंग के अभिषेक का महत्व
सावन में किसी सिद्ध स्थल व शिव मंदिर में पार्थिव लिंग के अभिषेक का अपना ही महत्व है। मंदिर के आचार्य पंडित धर्मेंद्र दुबे ने बताया कि कलयुग में मोक्ष प्राप्ति के लिए और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण के लिए मिट्टी के शिवलिंग को उत्तम बताया गया है। कहा जाता है कि जो भी भक्त मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पार्थिव शिवलिंग का पूजन और रुद्राभिषेक करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इसलिए महत्वपूर्ण है सिद्धपीठ
इतिहासकार बताते हैं कि श्री रुक्खड़ स्वामी महाराज भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। सन 1700 के आसपास वे अमरकंटक से निकलकर खैरागढ़ पहुंचें थे। जहां उन्होंने विभूति रूप में भगवान को तत्कालीन शासक टिकैतराय से स्थापित करवाया था। श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर भारत में एकमात्र सिद्धपीठ है,जहां विभूति मतलब राख से बने पीठ को शिव स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है। गर्भगृह के ठीक सामने वर्षों श्री रुक्खड़ स्वामी महाराज से प्रज्वलित धुनि जल रही है। जो सभी कष्टों के निदान का कारक माना जाता है।
बेल वृक्ष की मौजूदगी बढ़ाती है महत्व
मंदिर परिसर में अतिप्राचीन बेल का वृक्ष विराजमान है। आचार्य धर्मेंद्र दुबे बताते हैं कि जिन स्थानों पर बिल्वपत्र का वृक्ष होता है, वह काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र है, जहां अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी वृक्ष के नीचे बनाए गए सभा कक्ष पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
महा रुद्राभिषेक पूजा करने के लाभ
भगवान शिव का आशीर्वाद और दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए महा रुद्राभिषेक करने से सभी कठिनाइयों और विभिन्न ग्रहों के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं । महा रुद्र को करने से अधिक स्वास्थ्य, धन, दीर्घायु, संतान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती है। करियर, नौकरी, व्यवसाय और रिश्तों में सफलता प्राप्त करें जानलेवा बीमारियों, व्याधियों और अनिष्ट शक्तियों से मुक्ति पाएं। आध्यात्मिक उत्थान और अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नश्वर भय को दूर करने में मदद करता है और दुश्मनों पर जीत को सक्षम बनाता है।
होंगें विविध कार्यक्रम
0 प्रतिदिन शाम 4 बज़े से प्रतिष्ठत मानस मंडलियां शिव कथा व रामकथा के प्रसंगों को संगीतमय तरीके से प्रस्तुत करेंगें।
0 प्रत्येक शनिवार होगा सुंदरकांड का पाठ।
0 परिजनों के नाम से करा सकते हैं महामृत्युंजय का जाप।