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सालों से लंबित एरियर व महंगाई राहत पेंशन न मिलने से पेंशनर्स नाराज, धरना प्रदर्शन कर सीएम भूपेश के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

चार सूत्रीय मांगों को लेकर पेंशनर एसोसिएशन ने अंबेडकर चौक पर किया धरना प्रदर्शन

सीजीक्रांति/खैरागढ़। पेंशनर्स ऐसासिएशन तहसील खैरागढ़ ने छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के पेंशनरों की चार सूत्रीय मांगों को लेकर अंबेडकर चौक पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। व एसडीएम को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन पत्र सौंपा। एसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत कुमार यदु ने बताया कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के पेंशनरों को केवल 17 प्रतिशत ही महंगाई राहत पेंशन दी जा रही है। जबकि केंद्र सरकार के पेंशनरों को 1 जुलाई 2021 से 31 प्रतिशत राहत पेंशन की स्वीकृति आदेश जारी कर दी गई है। इधर मप्र व छत्तीसगढ़ के पेंशनरों को 1 अक्टूबर 2021 से 5 प्रतिशत राहत पेंशन स्वीकृत किया गया है। जबकि उसे 1 जुलाई 2021 से स्वीकृत किया जाना था।

दूसरी मांग यह है कि केंद्र सरकार ने सातवे वेतनमान के अनुरूप पेंशनरों को 1 जनवरी 2016 से पेंशन भुगतान करने का आदेश दिया है लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 जनवरी 2016 के पूर्व सेवानिवृत्त पेंशनरों को 1 जनवरी 2016 से न देकर 1 अप्रेल् 2018 से भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है। सरकार ने इस बीच 27 माह का एरियर भुगतान करने का आश्वासन दिया है। उसे पूरा किया जाना चाहिए।

तीसरी प्रमुख यह है कि पेंशनरों को छठवें वेतनमान के अनुरूप 1 जनवरी 2006 के पूर्व सेवानिवृत्त पेंशनरों को दिनांक 1 जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 तक 32 माह का एरियर का भुगतान करने जबदलपुर हाईकोर्ट द्वारा 18 जनवरी 2022 को आदेश जारी किया गया है कि छह माह के भीतर 6 प्रतिशत ब्याज ​सहित भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है। कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए तत्काल भुगतान किया जाना चाहिए।
चौथा और प्रमुख मांग यह है कि राज्य पुर्नगठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के उपनियम 6 की अनुसूची 2 से 6 में सहमति लेने की प्रक्रिया का कही उल्लेख नहीं किया गया है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश की सरकारों को 16 वर्षों से निरंतर अनुरोध पत्र लिखा जा रहा है कि इन नियमों में सहमति लेने—देने की कही टिप्पणी नहीं है फिर भी दोनों शासन द्वारा इस कुव्यवस्था को यथावत रखा गया है। जिसके कारण दोनों प्रदेश के पेंशनर्स परेशान है। जबकि दोनों राज्य सरकार आपसी सहमति से इस प्रथा को तत्काल समाप्त कर सकते हैं। दोनों राज्यों के वित्त विभाग के संयुक्त संचालक कोष लेखा एवं पेंशन द्वारा प्रत्येक पेंशनर का पेंशन/उपादान एरियर व अन्य देवताओं का विभाजन कर दोनों राज्य को उस भुगतान का ब्योरा दिया जाता है। इसके बाद तो सहमति लेने—देने की प्रक्रिया का कोई औचित्य नहीं है। इस संबंध में केंद्र सरकार के निर्देश दिनांक 13 नवंबर 2007 के निर्देशों का पालकर कर इस प्रथा को समाप्त कर अपने प्रदेश के पेंशनरों के संबंध में अलग से आदेश जारी किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर पेंशनर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत कुमार यदु,, राकेश बहादुर सिंह, चिंताहरण सिंह, बाबूलाल विश्वकर्मा, मानिकलाल श्रीवास, मंशाराम सिमकर, टीएक खान, रविंद्र अग्रवाल, रविंद्र कर्महे, झुकूक तिवारी, दयाराम निर्मलकर, बालकृष्ण गुप्ता, कौशल प्रसाद वैष्णव, माखन लाल भीमटे, जीवन लाल चौधरी, शत्रुहन कंवर, प्रेमलाल, डॉ. अरूण टहनगुनिया, सरस्वती यादव, कुंती यादव, मालती यादव, गौरी यादव समेत बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त कर्मचारी उपस्थित थे।

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