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संगीत विश्वविद्यालय में बेड टच की शिकायत 18 लोगों ने की, बयान देने 5 विद्यार्थी ही पहुंचे, संवेदनशील मामले में पुलिस की जांच भी धीमी

file photo

सीजी क्रांति/खैरागढ़। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में ओड़िसी संकाय के प्रो. सुशांत दास के खिलाफ मानसिक और शारीरिक शोषण किए जाने की शिकायत 18 छात्र—छात्राओं ने की! इनमें अभी तक 5 छात्राएं ही पुलिस में बयान देने पहुंची। जिनमें 2 छात्राओं ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। अभिव्यक्ति एप में जिन छात्रों ने शिकायत की है, वे बयान देने सामने नहीं आ रहे हैं। वहीं पुलिस भी उन्हें ढूंढने सफल नहीं हो रही है। इस मामले को दबाने के लिए चौतरफा दबाव बनाया गया है?
इस मामले में व्यावहारिक पक्ष को ध्यान में न रखकर जांच का सैद्धांतिक रास्ता अपना रहे हैं। लिहाजा इस संवेदनशील मामले की जांच की धीमी प्रक्रिया से छात्राएं जिन्होंने गलत के खिलाफ बोलने और शिकायत करने की हिम्मत दिखाई, उनके हौसले धीरे—धीरे पस्त हो रहे हैं। सामने परीक्षा है। शिकायत के बाद छात्र—छात्राएं इस बात से भी डरी हुई है कि कहीं उनकी पढ़ाई और कॅरियर पर इसका बुरा असर न पड़ जाए।
इधर पुलिस विभाग केे जिम्मेदारों का कहना है कि जिन—जिन लोगों ने शिकायत की है, उनके बयान लेने के बाद ही नियमानुसार एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जा सकेगी। शिकायतकर्ताओं से पुलिस संपर्क कर रही है लेकिन किसी के मोबाइल नंबर गलत हैं, तो कुछ बयान देने में आनाकानी कर रहे हैं। इस बीच जो बच्चियां अपनी शिकायत में कायम रहते हुए पुलिस में बयान दे चुकी है, वे पहले प्रोफेसर से प्रताड़ित हुई, अपने ही शैक्षणिक संस्था से बागी हुए, अब अपने धैर्य और सहनशक्ति से पुलिस की धीमी कार्रवाई से संघर्ष कर रहे हैं। यानी पूरी व्यवस्था बच्चियों के साथ हुए गलत व्यवहार की जांच कर वास्तविकता सामने लाने में संवेदनशील नजर नहीं आ रहे। जांच की यही बोझिल प्रक्रिया चलती रही तो इस मामले की सच्चाई सामने आने में अभी और वक्त लगेगा।

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