विक्रांत का नाम आने के बाद भाजपा जमीनी तैयारी में जुटी, कांग्रेस से यशोदा एंटीकंबेसी में फंसी, गिरवर जंघेल जन चर्चा में आगे

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सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। भाजपा से प्रत्याशी घोषित होने के बाद जनता के बीच उत्साह और चर्चा का विषय बने विक्रांत सिंह के बाद अब कांग्रेस से मैदान में कौन होगा, यह चुनावी चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। शुरूआती दौर में यशोदा नीलांबर वर्मा का नाम काफी आगे रहा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से गिरवर जंघेल दौड़ में आगे निकलते दिख रहे हैं। गिरवर रायपुर के आला नेताओं के सीधे संपर्क में है। गिरवर का नाम आगे आने के पीछे कई तर्क सामने आ रहे हैं।

पहली बड़ी वजह यह है कि गिरवर जंघेल को भौगोलिक परिस्थितियां साथ दे रही है। यानी छुईखदान-गंडई के वोटर्स का ध्रुवीकरण करने में आसानी होगी। वहीं लोधी समाज में गिरवर की पकड़ मजबूत आंकी जा रही है। कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता गिरवर के साथ खड़े हैं। देवव्रत सिंह से नजदीकी होने के कारण गिरवर को देवव्रत सिंह के कार्यकर्ताओं का साथ मिलने की भी संभावना जताई जा रही है।

उप विधानसभा चुनाव में यशोदा के जीतने के बाद गिरवर घर नहीं बैठे बल्कि अपने क्षेत्र में सामाजिक व राजनीतिक सक्रियता हुए है। इसके साथ ही गिरवर ने सोशल मीडिया में भी अपनी सक्रियता के प्रमाण दे रहे हैं। यशोदा के मुकाबले गिरवर जंघेल वरिष्ठता और राजनीतिक तुजुर्बे में भी मजबूत हैं। आर्थिक दृष्टि से देखे तो कांग्रेस के अन्य दावेदारों के मुकाबले गिरवर की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। पूर्व विधायक होने के कारण पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सीधा और मजबूत संबंध भी गिरवर के पक्ष में है।

इधर भाजपा से प्रत्याशी घोषणा के बाद पार्टी समेत जन चर्चा में विक्रांत सिंह का नाम छाया हुआ था लेकिन अब माहौल शांत सा हो गया। हालांकि भाजपा पूरी तरह से मैदानी स्तर पर पसीने बहा रही है। विक्रांत सिंह जनसंपर्क और बूथ व सेक्टर स्तर की बैठकों में व्यस्त हो गए हैं। विक्रांत सिंह पार्टी से दूर हो चुके व रूठे कार्यकर्ताओं को साधने में भीड़ गए है तो वहीं कांग्रेस के किले को भेदने उसी के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कुटनीतिक संबंध स्थापित करने एक धड़ा सक्रिय हो गया है।

विक्रांत का नाम आने के बाद जो उत्साह का वातावरण बना था, उसे बनाए रखने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगाई जा रही है। यानी बाहरी हवा तैयार करने के साथ ही भीतरी तौर पर व जमीनी स्तर पर कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं। पार्टी अपनी सबसे निचली और महत्वपूर्ण इकाई बूथ स्तर पर फोकस कर रही है। पार्टी बूथ संरचना से लेकर पन्ना प्रभारियों से संपर्क, संवाद और उन्हें शिक्षित-प्रशिक्षित करने पर जोर दे रही है।

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