सीजी क्रांति/कांकेर। भानुप्रतापपुर विधानसभा में हो रहे उपचुनाव में सावित्री मंडावी का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा है। खबर है कि उनके नाम से नामांकन फॉर्म भी खरीद लिया गया है। हालांकि उनके नाम की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इस सीट से तीन नामों का पैनल हाईकमान को भेजा जा चुका है। संभवतः मंगलवार को उम्मीदवार कौन होगा, उस पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। सावित्री मंडावी दिवंगत विधायक मनोज मंडावी की पत्नी है। उन्होंने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। रणनीतिकारों के अनुसार सावित्री मंडावी को सहानुभूति मिलेगी। उनकी छवि भी सभ्य और शिक्षित महिला की है। इससे विपक्षी पार्टी उन पर सीधा हमला नहीं कर पाएगी। उनकी कमियों की बात करें तो यह कहा जा सकता है कि वे राजनीति में नई है। राजनीति या कांग्रेस संगठन से उनका जुड़ाव नहीं रहा है। वे शासकीय नौकरी पर रही है। इससे पार्टी में पहले से मौजूद लंबे समय से काम कर रहे कार्यकर्ताओं में उपेक्षा का भाव पैदा होगा। जो कांग्रेस में असंतोष का कारण बन सकता है। इधर सावित्री मंडावी के बाद दूसरा मजबूत नाम बीरेश ठाकुर का आ रहा है। वे पार्टी से जुड़े रहे है। वे पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं।
कांकेर में तीन सीट, सावित्री विधायक बनीं तो, तीनों सीटों पर सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी होंगे एमएलए
कांकेर में तीन विधानसभा सीटें हैं। जिनमें कांकेर विधायक शिशुपाल शोरी पूर्व अफसर हैं। अंतागढ़ विधायक अनूप नाग भी सरकारी सेवा से रिटायरमेंट लेकर चुनाव लड़ें। अब भानुप्रतापपुर से सावित्री मंडावी को टिकट मिला और वे जीती तो वे जिले की तीसरी ऐसी विधायक होंगी जो पूर्व सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी होंगी जो विधायक बनेंगी।
1962 में अस्तित्व में आया भानुप्रतापुर विधानसभा! अब तक का चुनावी इतिहास
अविभाजित मध्य प्रदेश में 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई कांग्रेस के पाटला ठाकुर से जीते। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीते। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई जीते। 1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फिर जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।
मनोज मंडावी के निधन होने के कारण हो रहा उपचुनाव
भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक मनोज कुमार मंडावी के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। उनकी मौत 16 अक्टूबर को हुई। निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना 10 नवम्बर को जारी किया। 17 नवम्बर तक मतदान की अंतिम तिथि है। नया विधायक चुनने के लिए पांच दिसम्बर को मतदान होगा। आठ दिसम्बर को मतगणना के बाद परिणाम की घोषणा की जाएगी।
पांचवा विधानसभा उप चुनाव भानुप्रतापपुर में
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद ये पांचवा विधानसभा उप चुनाव होगा। यानी कांग्रेस सरकार में हर साल उपचुनाव हो रहे हैं। इनमें दंतेवाड़ा, चित्रकोट, मरवाही और खैरागढ़ शामिल है। इन सभी सीटों में हुए विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। अब भानुप्रतापपुर सीट जीतना कांग्रेस के लिए इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि अगले साल 2023 में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इसलिए यह चुनाव आगामी चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों ही दल एड़ीचोटी की ताकत लगाएंगे।
भानुप्रतापपुर विधानसभा उप चुनाव का शेड्यूल
1.नामांकन-10 नवम्बर से 17 नवम्बर
2.नामांकन की जांच -18 नवम्बर
3.नाम वापसी का मौका -21 नवम्बर तक
4.मतदान-5 दिसम्बर
5.मतगणना- 8 दिसम्बर
6.चुनाव खत्म-10 दिसम्बर