सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। कांग्रेस की सरकार में खैरागढ़ लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता, एसडीओ समेत इंजीनियरों द्वारा शासकीय राशि के गबन का मामला सामने आया था। इन पर आरोप है कि सड़कों की मरम्मत हुई नहीं और अफसरों ने फर्जी माप और बिल बनाकर 13.33 लाख रूपए डकार लिए। तत्कालीन कलेक्टर जगदीश सोनकर के निर्देश पर एसडीएम प्रकाश सिंह ने यह खुलासा किया था। उसके बाद पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने अपना पक्ष रखते हुए जांच रिपोर्ट को चुनौती दी।
अफसरों ने कहा कि उनकी मौजूदगी में पुनः जांच की जाए। इसके बाद जिले में नए कलेक्टर आ गए और इस तरह से जांच रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई। लिहजा जांच रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अफसर वाकई दोषी थे या निर्दाेष यह अब तक जनता नहीं जान सकी है। हैरानी की बात यह है कि विधायक यशोदा वर्मा के गांव देवारी भाठ में पेंच रिपेरिंग वर्क में भ्रष्टाचार की बात सामने आई थी। उसके बाद भी कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
बता दें कि खैरागढ़ लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने कांग्रेस विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा के गृहग्राम धनेली-देवारीभाठ मार्ग में पेंच निर्माण के नाम पर 4 लाख 28 हजार 527 रूपए की गडबड़ी हुई! ये गड़बड़ी कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर को मिली शिकायत की जांच में सामने आई । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब जिले के अफसर सत्ताधारी दल के विधायक के गांव में भ्रष्टाचार करने से नहीं झिझके थे, तो अन्य जगहों का क्या होल होगा।
इस मामले में प्रतिक्रिया जानने सीजी क्रांति ने विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा से बात की थी तो उन्होंने शांति से व सधे हुए शब्दों में बस इतना कहा कि कलेक्टर इसकी जांच करवा रहे हैं। उन्हें कहा है कि जो दोषी हैं, उन पर सख्ती से कार्रवाई करें। अब सत्ता भाजपा की है। ऐसे में एक बार भ्रष्टाचार मामले की जांच की फाइल खुल सकती है। ऐसा जनमानस में चर्चा है।
बता दें कि तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम प्रकाश सिंह राजपूत की अध्यक्षता में गठित 6 सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता, एसडीओ समेत इंजीनियरों पर 13.33 लाख रूपए शासकीय राशि के गबन का मामला सामने आया है। इन पर आरोप है कि सड़कों की मरम्मत हुई नहीं और अफसरों ने फर्जी माप और बिल बनाकर 13.33 लाख रूपए डकार लिए। जांच कमेटी ने लोक निर्माण के कार्यपालन अभियंता और एसडीओ समेत इंजीनियरों दोषी पाया है।
इसके बाद उनके निलंबन या बर्खास्तगी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बजाय दोषी अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जा रहा है। हालांकि कलेक्टर अपने आप में जिले के प्रमुख अधिकारी होते हैं। ऐसे में यदि उनके द्वारा गठित टीम ने अपने जांच में पीडब्ल्यूडी के अफसरों को दोषी ठहराया है तो अपने आप में पुख्ता प्रमाण है। बावजूद इसके लिए अफसरों को अपना पक्ष रखने का मौका देकर प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी करने की बात कही गई। लेकिन अततः जांच रिपोर्ट में यह सार्वजनिक नहीं हो सका है कि भ्रष्टाचार वास्तव में हुआ था या नहीं।
इन सड़कों का फर्जी माप कर लाखों का फर्जीवाड़ा ?
0 पेड्री-दपका मार्ग में 74 हजार 821 रूपए।
0 राजनांदगांव-कवर्धा मार्ग 3 लाख 59 हजार 56 रूपए।
0 सिंगारघाट-बेंद्रीडीह मार्ग में 70 हजार 848 रूपए।
0 पिपारिया-मुहडबरी मार्ग 4 लाख 28 हजार 527 रूपए।
0 कुकुरमुड़ा-सिंघौरी व शेरगढ़-बफरा मार्ग में 1 लाख 14 हजार 386 रूपए।
0 खैरागढ़-अतारिया मार्ग 1 लाख 73 हजार 9 रूपए।
0 धनेली-देवारीभाठ-भरदाकला 4 लाख 28 हजार 527 रूपए।
मैं फ्री होकर बात करता हूं- एसडीएम
सीजी क्रांति ने इस मामले में प्रशासन का पक्ष जानने जांच समिति के अध्यक्ष एसडीएम प्रकाश सिंह राजपूत से बात की तो उन्होंने फ्री होकर बात करने की बात कहकर फोन काट दिया। बहरहाल इस मामले को खुद प्रशासन ने उजागर किया था। फाइनल जांच रिपोर्ट आखिर क्या हुआ, उसे सार्वजनिक क्यों नहीं की गई, यह जनता के बीच बड़ा सवाल बना हुआ है।