सीजी क्रांति/खैरागढ़। नगर पालिका में लेखापाल पद पर राजस्व विभाग के कर्मचारी राजेश तिवारी को नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति लेखापाल कुलदीप झा के सीएमओ पद पर गंडई स्थानांतरण होने के बाद, पद रिक्त होने पर किया गया है। यहां 2015 में नगरीय प्रशासन विभाग के आदेश की खुली अवहेलना की गई है! कर्मचारियों में इसकी चर्चा है। पर जनप्रतिनिधि खामोश हैं। विपक्ष के पार्षदगण निर्वाचन के बाद से ही मौन साधे हुए हैं। इसलिए यह मुद्दा गर्माएगा इसकी संभावना कम है।
इस पूरे मामले पर नगर पालिका परिषद के सीएमओ सूरज सिदार ने चर्चा में सीजी क्रांति को बताया कि राजेश तिवारी को वरिष्ठता और कार्यानुभव के आधार पर लेखापाल बनाया गया है। प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए दक्ष व्यक्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए व्यवहारिक पहलू को ध्यान में रखकर कार्यविभाजन किया गया है।
बता दें कि 2015 में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अपर संचालक ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें यह उल्लेख है कि लेखापाल का कार्य नियमित कर्मचारी लिपिक वर्ग से ही संपादित कराया जाए। इसके बाद कोई और संशोधित आदेश जारी किया गया है, इसकी आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। बहरहाल नगर पालिका में लेखापाल नियुक्ति के बाद कर्मचारियों के बीच आपसी मनमुटाव की स्थिति बनी हुई है।
नियमानुसार वरिष्ठ लिपिक दीपक दुबे और नीरज सिंह ठाकुर है हकदार!
लेखापाल की नियुक्ति में यदि 2015 के आदेश को आधार मानें तो पालिका में लिपिक वर्ग से दो कर्मचारी पदस्थ हैं। जिनमें दीपक दुबे और नीरज सिंह ठाकुर है। सीएमओ के अनुसार व्यवहारिक पक्ष को ध्यान में रखकर वरिष्ठता और कार्यानुभव के आधार पर राजेश तिवारी को लेखापाल बनाया गया है तो सवाल यह उठता है कि पालिका में राजेश तिवारी से भी वरिष्ठ दीपक दुबे हैं जो पूर्व में 2013 से 2018 के बीच लेखापाल का कार्यभार संभाल चुके हैं। वहीं नीरज सिंह ठाकुर को भी पालिका में 8-10 साल काम का अनुभव हो चुका है। बहरहाल नगर पालिका में नियमों की उधेड़बून केवल लेखापाल नियुक्ति तक ही सीमित नहीं है, अनियमितताओं की पोटली खोली जाए तो ऐसे ढेरों मामले उजागर होंगे!