सीजी क्रांति/खैरागढ़। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले छुईखदान नगर पंचायत के 6 पार्षद और एक पार्षद पति को 6 साल के लिए पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर भाजपा ने बड़ी कार्रवाई की है। लेकिन भाजपा को पार्षदों के पार्टी से निष्कासन का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। क्योंकि अब निष्कासित पार्षद खुलकर किसी का भी समर्थन कर सकते हैं।
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अफवाहों का बाजार तो यहां तक गर्म है कि निष्कासित पार्षद और भाजपा नेता पाला बदल सकते हैं? हालांकि कोई आधिकारिक पुष्टि सामने नहीं आयी है। लेकिन भाजपा पार्षदों ने संगठन के खिलाफ जाकर खुद की पार्टी के अध्यक्ष को कुर्सी से गिराना, पाला बदलने की बात को हवा दे रहा है।
कांग्रेस-भाजपा के 12 पार्षद एकजुट
भाजपा से अध्यक्ष की कुर्सी छीनने के बाद अब नयी नगरीय सरकार के लिए चर्चा तेज हो गई है। राजनीति क्षेत्र से जुड़े लोग अलग-अलग समीकरण बता रहे हैं। वही अफवाहों बाजार भी गर्म है। सूत्रों के अनुसार क्षेत्र में चर्चा है कि निष्कासित 6 भाजपा पार्षद कांग्रेस की खेमे चले जाएंगे?
ऐसे में दो अन्य के साथ कांग्रेस के पास 6 पार्षद पहले से ही है। अब भाजपा से निष्कासित पार्षद उनके खेमे में आ जाएंगे, तो उनकी संख्या 12 हो जाएगी। यानी आसानी से नगरीय सरकार की कुर्सी पर कब्जा जमा लेंगे।
कांग्रेस की झोली में कुर्सी?
जिस तरह राजनीतिक समीकरण बनते दिख रहे हैं, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि छुईखदान के नगरीय सत्ता की कुर्सी कांग्रेस की झोली में जा रही है। क्योंकि भाजपा पार्षदों की मंशा अध्यक्ष को ही हटाने की होती, तो अपने में से ही किसी एक को फिर से अध्यक्ष चुन सकते थे।
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लेकिन भाजपा नपं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मुहर लगाना। फिर उसके बाद पार्टी द्वारा पार्षदों को निष्कासित करना बताता है कि पार्षदों की मंशा सिर्फ अध्यक्ष को कुर्सी से हटाना नहीं था। बल्कि नपं की विपक्षीय पार्टी उनका झुकाव भी था। हालांकि जब तक निष्कासित पार्षदों का आधिकारिक बयान नहीं आ जाता, तब तक कुछ कह पाना मुश्किल है।