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दिलीपपुर में विशेष कानूनी जागरूकता शिविर, बताए महिलाओं के 11 अधिकार

सीजी क्रांति/खैरागढ़। तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ ने ग्राम दिलीपपुर में विशेष कानूनी जागरूकता शिविर का का आयोजन किया गया। जहां उपस्थित मितानिन दीदियों व ग्रामीण महिलाओं को भारतीय संविधान द्वारा महिलाओं को प्रदत्त अधिकारों के बारे में बारे में जानकारी दी गई। पैरा लीगल वालंटियर गोलू दास ने कहा कि पिछले दशकों में स्त्रियों का उत्पीड़न रोकने और उन्हें उनके हक दिलाने के बारे में बड़ी संख्या में कानून पारित हुए हैं। भारत में महिलाओं की रक्षा हेतु कानूनों की कमी नहीं है। इस बात की जानकारी महिलाओं को अवश्य होना चाहिए।
इक्वल रिम्यूनरेशन एक्ट में दर्ज प्रावधानों के मुताबिक जब सैलरी, पे या मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते. किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है। महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है। किसी मामले में अगर महिला आरोपी है, उसके साथ कोई मेडिकल परीक्षण हो रहा है तो यह काम किसी दूसरी महिला की मौजूदगी में ही होना चाहिए। अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। इस कानून के तहत, महिला 3 महीने की अवधि के भीतर ब्रांच ऑफिस में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी को लिखित शिकायत दे सकती है।
पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है. पति, मेल लिव इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते.
किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है. अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है. किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में बयान दे सकती है। लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है। किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्याेदय से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते। अपवाद में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेड के आदेश को रखा गया है। कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। इसमें वह ईमेल का सहारा ले सकती है। महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिये अपनी शिकायत भेज सकती है।
किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक, या सार्वजनिक नैतिकता या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते। ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है। आईपीसी की धारा 354 डी के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे। किसी महिला के खिलाफ अगर अपराध होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है। कार्यक्रम में मितानिन ब्लॉक समन्वयक सुरेखा बैस से हित मितानिन, दीदीगण व ग्रामीण महिलाएं उपस्थित थे।

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