सीजी क्रांति/खैरागढ़। नया जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई बन गया। खैरागढ़ में कलेक्टोरेट भी बन गया। कलेक्टर भी कार्यालय में बैठने लगे पर कामकाज ने अभी गति नहीं पकड़ा है। कलेक्टोरेट बिल्डिंग में लोकसेवा केंद्र और आवक-जावक शाखा में काम की व्यस्तता दिख रही है। बाकी शाखाओं में खासकर भू-अभिलेख शाखा जो कलेक्टोरेट के प्रमुख अंगों में एक है। वहां काम ठप पड़ा है। भू-अभिलेख से जुड़े दस्तावेज जैसे मिशल रिकार्ड, चकबंदी, अधिकार अभिलेख जैसे अहम दस्तावेजों का बस्ता अभी राजनांदगांव से खैरागढ़ ट्रांसफर नहीं हो पाया है।
भू-अभिलेख के दस्तावेजों की छंटाई हो चुकी है। करीब डेढ़ हजार बस्ता राजनांदगांव में बंध चुके हैं। उन्हें सिर्फ खैरागढ़ लाना है। इसके लिए सोमवार को तैयारी की गई थी। कोटवारों तक को बुलाया गया था। लेकिन ठीक टाइम पर पता चला कि दस्तावेजों को लाने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई। लिहाजा कोटवारों को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा।
हैरत की बात है कि महज वाहन सुविधा उपलब्ध नहीं होने की वजह से भू-अभिलेख के दस्तावेज खैरागढ़ नहीं लाया जा सका है। इधर भू-अभिलेख से जड़े दस्तावेज नहीं होने कारण भू-अभिलेख शाखा के अधिकारी-कर्मचारियों के पास पत्र फारवर्ड काम करने के अलावा ज्यादा काम नहीं है।
स्टेशनरी का इंतजाम नहीं, डीडीओ पावर भी नहीं
जिला कार्यालय संचालन के लिए स्टेशनरी तक की कमी महसूस की जा रही है। आम तौर सभी विभागों में कम्प्यूटर से काम हो रहे हैं। लेकिन कम्प्यूटर में टोनर तक की कमी है। इसकी वजह से विभागों में प्रिंट आउट निकालने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ चुनिंदा विभागों के पास अभी डीडीओ पावर नहीं है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह सुविधा जल्द मिलने की संभावना है लेकिन इसकी वजह से वर्तमान कामकाज प्रभावित हो रहा है।
100 साल पुराना रिकार्ड आएगा खैरागढ़
भू-अभिलेख शाखा के दस्तावेज काफी पुराने हैं। इनमें कुछ रिकार्ड ऐसे भी है जो करीब 100 साल पुराना है। जिन्हें छूने में भी उनके फटने की आशंका है। जानकारों के अनुसार मिशल रिकार्ड 1900 से 1930 में बने हैं। चकबंदी के रिकार्ड 1955 से बनने शुरू हुए। वहीं अधिकार अभिलेख के रिकार्ड करीब 47 साल पुराने हैं।