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छोटे-छोटे काम के लिए कलेक्टर से गुहार, तो मैदानी अमला क्या कर रहा है ? और जनप्रतिनिधि भी ?

कलेक्टर की मदद से गदगद हुआ ग्रामीण, जताया आभार

राजू यदु/खैरागढ़। कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर के पास पहुंच रहे फरियादियों को तत्काल शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। हाल ही में गंडई निवासी दिव्यांग परेटन निषाद कृत्रिम पैर लगने पर इतना खुश हुआ कि कलेक्टर श्री सोनकर के पास आभार प्रदर्शन करने पहुंच गया। कलेक्टर ने भी खुशी जाहिर की। उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इसके पहले भी ट्राईसिकल दिलाने का मामला हो या किसान के खेत में ट्रांसफर लगाने का मामला हो। कलेक्टर नियमानुसार लोगों को शासन की योजनाओं से लाभान्वित करने का प्रयास कर रहे हैं।
पर सवाल यह उठता है कि पीड़ित लोगों की समस्याओं को संबंधित विभाग पहले ही क्यों समाधान नहीं कर पा रहा है। बात कलेक्टर तक पहुंचे उससे पहले ही छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर चक्कर काट रहे आम नागरिकों के काम संवेदना के साथ निपटाए क्यों नहीं जा रहे हैं?
हर विभाग की अपनी अलग-अलग जिम्मेदारी होती है। शासन की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना ही उनकी ड्यूटी होती है। प्रशासन को हितग्राहियों को ढूंढ-ढूंढकर लाभान्वित करना चाहिए। इसके लिए सरकार उन्हें वेतन भी देती है। लिहाजा कलेक्टर के कहने पर जो काम प्रशासन तीव्र गति से करता है, वह पहले ही क्यों नहीं कर दिया जाता है। इससे पीड़ित फरियादी को समय पर लाभ मिल जाएगा। साथ ही शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षति से भी बच जाएगा। वहीं जिला कार्यालय में उच्चाधिकारी व कलेक्टर दूसरे महत्वपूर्ण कार्य निबटा पाएंगे।
बहरहाल जनता की सेवा व मदद करना, जो प्रशासन की ड्यूटी है, उसकी मार्केटिंग से उन लोगों के मन में एक आस जरूर पैदा होती है कि उनकी भी गुहार सुनी जाएगी। पर इससे कहीं न कहीं प्रशासन के मैदानी अमले की कार्यकुशलता पर सवाल खड़ा होता है!

क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर भी सवाल उठता है। वे लगातार क्षेत्र में दौरा करते हैं। जनता से सीधे जुड़े हुए होते हैं। इसके बाद भी उन्हें जरूरतमंदों की बेबसी क्यों दिख नहीं रही है। प्रशासन के पास सीमित मानव संसाधन है लेकिन राजनीतिक दलों के पास हर गांव, मोहल्ले, वार्ड और गलियों में कार्यकर्ता हैं। आखिर कार्यकर्ताओं के जरिए ऐसे संवेदनशील मामले नेताओं तक पहुंच क्यों नहीं रहे हैं? शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक सर्वसुलभ क्यों नहीं हो पा रहा है?

इन पर भी ध्यान देने की जरूरत …
खैरागढ़ में अभी सिविल अस्पताल बीमार है। चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किए जाने की जरूरत है। नरवा-गरवा-घुरूवा-बारी सरकार की इस महत्वकांक्षी उद्देश्य को बचाने के लिए शहर की आमनेर, पिपारिया और मुस्का समेत मोती नाला में अवैध कब्जों और निर्माण कार्यों की रोकथाम की आवश्यकता है। दुर्घटनाग्रस्त ब्लेक स्पॉट को सुधारने की आवश्यकता है। अवैध प्लाटिंग को रोके जाने की आवश्यकता है। नया जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में सरकारी व सार्वजनिक प्रयोजन के लिए लैंड बैंक बनाने की आवश्यकता है। ऐसे कई सारे लक्ष्यों को पूरा करने का भार जिला प्रशासन पर है!

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