सीजी क्रांति/खैरागढ़। प्रदेश भाजपा ने खैरागढ़ उप विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी और अधिकृत प्रत्याशी कोमल जंघेल के खिलाफ काम करने वाले छुईखदान-गंडई के 5 नेताओं को निलंबित कर दिया। इससे साबित हो रहा है कि कोमल जंघेल को अपने ही गढ़ में विरोधियों का सामना करना पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि खैरागढ़ शहर और ग्रामीण भाजपा मंडल में किसी पर गद्दारी का आरोप नहीं लगा। यानी कोमल जंघेल और पार्टी के विरोध में खैरागढ़ के कार्यकर्ताओं ने पूरी ईमानदारी और समर्पण भाव से काम किया! शुक्रवार को देर शाम जारी निलंबन आदेश के बाद जिले में राजनीतिक हलचज तेज हो गई है। निलंबित पांचों नेता जिला पंचायत सदस्य रही लुकेश्वरी जंघेल, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रावल कोचर, भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के मंडल अध्यक्ष रामा साहू, पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष व भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य राकेश ठाकुर, भाजयुमो अध्यक्ष केशव साहू पार्टी के प्रमुख पदों पर रहे हैं।
इधर इस पूरे मामले में जिले के नए भाजपाध्यक्ष घम्मन साहू ने कहा कि उन्हे निलंबन आदेश की जानकारी पार्टी की तरफ से नहीं मिली है। पार्टी ने किस आधार पर पार्टी नेताओं को निलंबित किया है, इसकी जानकारी वरिष्ठ नेताओं को होगी। मेरी विचारधारा तो यही है कि हमें विधानसभा 2023 जीतना है। पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को लेकर चलना होगा। किन्ही कारणों से कोई पार्टी से दूर चला गया है या दूर जा रहा है, उन्हें भी मनाकर पार्टी के मुख्यधारा से जोड़ना है।
मंडल अध्यक्ष की सहमति और अभिमत से होती है कार्रवाई!
भाजपा कैडर बेस और नियमों में चलने वाली अनुशासित पार्टी है। भाजपा में निर्णय लेने की विधिवत प्रक्रिया है। कोई भी निर्णय तय प्रक्रिया से गुजरकर ही किया जाता है। भाजपा से निलंबित हुए नेताओं के पीछे मंडल अध्यक्ष और सीधे तौर पर विधायक प्रत्याशी रहे कोमल जंघेल की अहम भूमिका है! क्योंकि हार की समीक्षा के दौरान स्वाभाविक रूप से मंडल अध्यक्ष और पार्टी प्रत्याशी की रिपोर्ट के आधार पर ही पार्टी ने कड़े फैसले लिए है। हालांकि पार्टी की अपनी अंधरूनी और सर्वे टीम भी थी, जो पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर नजर रखे हुए थे।
छुईखदान में मंडल भाजपा की स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन गंडई में मंडल अध्यक्ष के साथ निलंबित नेताओं की खींचतान होते रही है। वहीं गंडई के अध्यक्ष तेजतर्रार, स्पष्ट और निर्भिक स्वाभाव के हैं। ऐसे में राजनीतिक अटकलबाजी लगाई जा रही है कि निलंबित नेताओं की रिपोर्ट देने में अध्यक्षों की भूमिका है। बताया जा रहा है कि पार्टी की हार के बाद जिले में वरिष्ठ नेताओं की समीक्षा बैठक रखी गई थी। जिसमें चुनाव संचालक, प्रत्याशी, मंडल अध्यक्ष समेत अन्य लोगों से सार्वजनिक व आपसी चर्चा कर वास्तविकता पता लगाया गया था।
सुलगता सवाल यह भी …..
प्रदेश भाजपा ने जिन नेताओं को निलंबित किया है, उन पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी कोमल जंघेल के खिलाफ काम किया। तो पहला सवाल यह है कि पार्टी ने इन निलंबित नेताओं को अहम पदों से नवाजा था, तो क्या वह गलत फैसला था। दूसरा सवाल जब निलंबित नेता पार्टी और कोमल जंघेल के दोनों विरूद्ध काम कर रहे थे । यह विचारणीय है कि आखिर किस पुख्ता सबूत के आधार पर पार्टी ने अपने ही वरिष्ठ नेताओं को निलंबित करने जैसा बड़ा फैसला लिया।