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छत्तीसगढ़ में अब प्री-मानसून…अरब सागर से आ रही नम हवाओं से बदला मौसम; खैरागढ़, मुंगेली, कवर्धा, जशपुर सहित कई जिलों में बारिश

file photo

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शनिवार को खैरागढ़ मुंगेली, कबीरधाम, जशपुर सहित कई जिलों में बरसात शुरू हो गई है। रायपुर में भी बादल छाए हुए हैं। वहीं तेज होती हवाओं के साथ गरज-चमक शुरू हो चुकी है। यह मानसून पूर्व की बरसात है। मौसम विभाग का कहना है,अब अगले कुछ दिनों तक प्रदेश के कई हिस्सों में वर्षा का यह सिलसिला कुछ दिनों तक जारी रहेगा। यहां मानसून के 16-17 जून तक आने की संभावना जताई जा रही है।

रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक प्रदेश में पश्चिम से ठंडी और नमी युक्त हवा का आगमन लगातार जारी है। जिसके कारण प्रदेश में अधिकतम तापमान में क्रमशः गिरावट देखी जा रही है। प्रदेश में 12 जून को कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा गरज-चमक के साथ छीटें पड़ने की संभावना है। प्रदेश में गरज-चमक के साथ एक-दो स्थानों पर वज्रपात होने तथा अंधड़ चलने की संभावना है। प्रदेश में वर्षा का सिलसिला लगातार जारी रहने की संभावना है। इसकी वजह से प्रदेश के अधिकतम तापमान में गिरावट का क्रम शुरू हो जाएगा।

मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा ने बताया, प्रदेश की हवा में नमी का सबसे बड़ा स्रोत अरब सागर और बंगाल की खाड़ी है। अभी पश्चिमी हवा प्रबल हो रही है। पश्चिमी रेखा के साथ मानसून बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। अभी वह महाराष्ट्र के बड़े हिस्से को पार कर चुका है। कल तक उसके गुजरात पहुंच जाने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में उधर से आने वाली हवाएं नमी युक्त ठंडी हैं। यही नमी अनुकूल परिस्थितियों में बादल बनाती है और बरसात करती हैं। स्थानीय परिस्थितियों की वजह से प्री मानसून की बरसात होती है। उसके लिए अभी परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं।

कैसे होती है बादलों से यह बरसात

मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा बताते हैं, मैदानों में भीषण गर्मी की वजह से हवा गर्म होकर ऊपर की ओर उठती है। यह कन्वेक्शन होता है। यहीं अगर उसे नमी मिल जाए तो बादल बनता है। इसमें पानी गैस के रूप में होता है। विभिन्न सतहों पर बह रही हवा इसे ऊंचे उठाकर ले जाती है। यही बादल ठंडा होने पर गैस के रूप में इकट्‌ठा पानी द्रव में बदल जाता है। इसकी बूंदें बड़ी हो जाती हैं तो बादल इसे संभाल नहीं पाता और बरस पड़ता है। इस तरह बरसात होती है। ऐसा तब होता है जब तापमान, हवा की दिशा, बादलों की ऊंचाई जैसे कई तत्व एक साथ मिलें।

मानचित्र में हरे रंग की रेखाओं से मानसून की वास्तविक स्थिति और लाल रंग की रेखाओं से संभावित आकलन दिखाया गया है।

अभी मानसून की ऐसी है स्थिति

दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी पुणे, बेंगलुरु और पुंडुचेरी के ऊपर हैं। अगले 24 घंटों में इसके पूरे कर्नाटक, मध्य महाराष्ट्र, कोंकड़, गुजरात के कुछ हिस्साें तक पहुंचने की संभावना बन रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी इसके पहुंच जाने की स्थितियां अनुकूल दिख रही है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन दिनों में मानसून गुजरात, मराठवाड़ा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बंगाल की खाड़ी के अधिकतर हिस्सों, पश्चिम बंगाल और सिक्किम, ओडिशा के कुछ हिस्सों और बंगाल स्थिति गंगा के मैदानों तक पहुंचने की संभावना बन रही है।

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