सीजी क्रांति न्यूज/रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा की बहुमत आने के बाद पहला और बड़ा सवाल मुख्यमंत्री पद को लेकर खड़ा हो गया है। केंद्रीय संगठन ने इसके लिए मशक्कत शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पद के लिए चयन का पहला मापदंड पहला तो लोकसभा चुनाव में जीत के लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया जाएगा। वहीं प्रदेश में क्षेत्रीय व सामाजिक संतुलन समेत देश में भी एक संदेश देने की कोशिश की जाएगी।
छत्तीसगढ़ के लिहाज से देखें तो पार्टी की कोशिश आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधने की होगी। इसके अलावा संघ पृष्ठभूमि को भी महत्व दिया जाएगा। लिहाजा इन सभी बिंदुओं पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरूण साव फिट बैठ रहे हैं। लिहाजा श्री साव के नाम को तय कर आम सहमति बनाने की कवायद भी जारी है।
बता दें कि अरुण साव 2019 में पहली बार बिलासपुर लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सन् 2022 में तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय को श्री साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद अरूण साव को विधायक की टिकट दी गई। जिसमें उन्होंने भारी मतों से जीतकर अपनी योग्यता साबित की।
इसके अलावा उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में बुरी तरह हार चुकी भाजपा ने 54 सीट लाकर 2023 में शानदार वापसी की। अरूण साव संघ पृष्ठभूमि के मापदंड पर भी फिट बैठ रहे हैं। सामाजिक दृष्टकोण वे साहू समाज से संबंध रखते हैं, जिनकी प्रदेश में बाहुल्यता है। इसके अलावा भोगोलिक दृष्टिकोण से वे बिलासपुर क्षेत्र से हैं जो प्रदेश के मध्य में स्थित है। बीते 4 सालों में केंद्रीय संगठन ने अरूण साव को जितनी भी जिम्मेदारियां दी, उसे सहजता से स्वीकारा और तय अंजाम तक पहुंचाया है। इससे हाईकमान खुश है।
प्रदेश में कांग्रेस ने डिप्टी सीएम का पहला प्रयोग यहां कर दिया है। लिहाजा प्रदेश में आदिवासी समाज से रेणुका सिंह, रामविचार नेताम, विष्णुदेव साय को उप मुख्यमंत्री बनाकर बड़ी संख्या में निवासरत आदिवासी वोटर्स को भी भाजपा लुभाने की रणनीति पर काम कर रही है।
हालांकि इस बात की भी संभावना है कि प्रदेश में सीएम आदिवासी और डिप्टी सीएम ओबीसी वर्ग से चुना जा सकता है। इसके अलावा बात करें मंत्रिमंडल की तो उसमें सीनियरों के साथ ही पहली बार निर्वाचित हुए युवा विधायकों को भी शामिल किया जाएगा। जिसमें कवर्धा विधायक विजय शर्मा और रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी का नाम तय माना जा रहा है।