सीजी क्रांति न्यूज/अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ नेता व हाल ही में बने प्रदेश के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव लगातार हो रहे गलत व्यवहार से दुखी है। इस बार उन्होंने अपनी नाराजगी खुले तौर पर प्रकट भी कर दी। उन्होंने अफसरों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सम्मान से समझौता नहीं करेंगे।
बता दें कि अंबिकापुर संभाग मुख्यालय में आयोजित छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक 2023-24 के संभागीय आयोजन में प्रशासन द्वारा प्रोटोकॉल को दरकिनार करने को लेकर भड़के मुख्य अतिथि डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बहिष्कार कर दिया। टीएस सिंहदेव ने कहा कि बार-बार प्रशासन को संदेश भेजे जाने के बाद भी प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर कांग्रेस नेताओं का अपमान किया जा रहा है, तो हम इतने भी गैर सम्मानित नहीं हैं कि उन कार्यक्रमों में जाएं। मान-सम्मान से समझौता नहीं हो सकता।
अंबिकापुर के गांधी स्टेडियम में मंगलवार को संभागीय छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक 2023-24 प्रतियोगिता का शुभारंभ किया जाना था। 3 दिवसीय इस आयोजन में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव मुख्य अतिथि थे। सिंहदेव के साथ अन्य मंत्री, संसदीय सचिव और विधायकों के अलावा कांग्रेस से जुड़े निगम, मंडल के पदाधिकारी और कांग्रेस पदाधिकारी भी बतौर अतिथि आमंत्रित किए गए थे। प्रशासन के भारी-भरकम कार्ड में भी अतिथियों के पदक्रम को दरकिनार किया गया था।
इसे कांग्रेस नेताओं ने नजरअंदाज किया। जब कांग्रेस पदाधिकारी दोपहर को आयोजन स्थल पर पहुंचे, तो जिला प्रशासन द्वारा मंच पर की गई अतिथि बैठक व्यवस्था देखकर कांग्रेस के पदाधिकारी भड़क गए। प्रशासन द्वारा कुर्सियों पर लगाई गई नाम पट्टिका में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के बैठने की व्यवस्था दूसरी लाइन में की गई थी। पहली लाइन में बतौर अतिथि मंत्रियों एवं विधायकों के नाम थे, जो कार्यक्रम में शामिल होने नहीं आने वाले थे। इससे भड़के कांग्रेस नेताओं ने टीएस सिंहदेव को फोन कर इसकी शिकायत कर दी।
जिला प्रशासन द्वारा फिर से प्रोटोकॉल को नजरअंदाज करने से भड़के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने अपने ही मुख्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। टीएस सिंहदेव ने कहा कि मुझे मुख्य अतिथि बनाए जाने की जानकारी नहीं दी गई थी। इस पर चर्चा भी नहीं हुई थी। बार-बार जिला प्रशासन को प्रोटोकॉल के पालन को लेकर संदेश दिया गया। कौन सीनियर है, कौन जूनियर है, इसका ध्यान रखकर छापना चाहिए। बार-बार कार्यकर्ता यह शिकायत करते हैं कि हमारा अपमान हो रहा है, ऐसे में हर बार मान-सम्मान से समझौता नहीं हो सकता।