सीजी क्रांति न्यूज/ रायपुर। लोक निर्माण विभाग ने कोरबा जिले के चोटिया-चिरमिरी मार्ग के उन्नयन और नवीनीकरण कार्य में गुणवत्ताहीन निर्माण और अमानक कार्य करने वाले ठेकेदार को निलंबित कर दिया है। लोक निर्माण विभाग के बिलासपुर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता द्वारा विगत 18 जनवरी को निरीक्षण और जांच में सड़क उन्नयन एवं नवीनीकरण का कार्य अमानक और गुणवत्ताहीन पाया गया था। इस पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने 9 फरवरी को ठेकेदार मेसर्स एम.के. गुप्ता एंड कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब मांगा था। ठेकेदार द्वारा नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया। विभाग ने ठेकेदार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए दो वर्ष के लिए उसका पंजीयन निरस्त कर दिया है। उप मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री अरुण साव के निर्देश पर मामले में दो अधिकारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। वहीं दो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
लोक निर्माण विभाग के बिलासपुर परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता द्वारा चोटिया-चिरमिरी मार्ग के दस कि.मी. लंबाई के उन्नयन एवं नवीनीकरण कार्य (वास्तविक लंबाई 23.30 कि.मी.) के निरीक्षण के दौरान कार्यस्थल की जांच में डामरीकरण की मोटाई औसतन कम पाई गई। साथ ही किए गए कार्य की डेन्सिटी (घनत्व) भी कम पाई गई। कार्य अमानक स्तर का पाया गया। सड़क के उन्नयन और नवीनीकरण के लिए नियुक्त ठेकेदार मेसर्स एम.के. गुप्ता एण्ड कंपनी, “अ” वर्ग ठेकेदार, कोरबा द्वारा गुणवत्ता के मापदण्डों का पालन किए बिना ही मार्ग का डामरीकरण कर गुणवत्ताविहीन कार्य कराया गया है, जिससे मार्ग में जगह-जगह गड्डा हो गया है। अमानक और गुणवत्ताहीन कार्य के लिए मुख्य अभियंता द्वारा ठेकेदार को कम से कम दो वर्ष के लिए प्रतिबंधित किए जाने की अनुशंसा की गई थी।
इधर इसी मामले में एक दिन पहले लोक निर्माण विभाग द्वारा गुणवत्ताहीन और अमानक कार्य के लिए कटघोरा उप संभाग के अनुविभागीय अधिकारी और उप अभियंता को निलंबित कर दिया गया है। वहीं कोरबा संभाग के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता और उप संभागीय अनुविभागीय अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव लोक निर्माण विभाग का प्रभार संभालने के बाद से ही निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और उन्हें समय-सीमा में पूर्ण करने पर लगातार जोर दे रहे हैं। उन्होंने विभागीय समीक्षा बैठकों में अधिकारियों को इसके लिए कड़े निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में रखने को कहा है।
कोरबा जिले के चोटिया-चिरमिरी मार्ग के दस किलोमीटर लंबाई के उन्नयन एवं नवीनीकरण कार्य (वास्तविक लंबाई 23.3 कि.मी.) में कार्यस्थल के निरीक्षण के दौरान जाँच में डामरीकरण की मोटाई औसतन कम एवं किए गए कार्य का घनत्व कम पाए जाने पर लोक निर्माण विभाग ने संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की है।
मामले में उप संभाग क्रमांक-2 कटघोरा के अनुविभागीय अधिकारी एस.पी. साहू और उप अभियंता राकेश वर्मा को निलंबित किया गया है। मंत्रालय द्वारा जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि गुणवत्ता के मापदण्डों का पालन किए बिना ही अमानक कार्य और मार्ग का डामरीकरण कराकर अनुविभागीय अधिकारी एवं उप अभियंता द्वारा अपने अधिकार का दुरूपयोग कर अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में अनियमितता बरती गई है।
इसलिए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के तहत एस.पी. साहू, अनुविभागीय अधिकारी एवं राकेश वर्मा, उप अभियंता, लोक निर्माण विभाग, उप संभाग क्रमांक-2 कटघोरा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उनका मुख्यालय, कार्यालय प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग, निर्माण भवन, नवा रायपुर अटल नगर में निर्धारित किया जाता है। दोनों को निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वहन भत्ते की पात्रता होगी। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता को 15 दिनों में दोनों अधिकारियों के विरुद्ध आरोप पत्रादि तैयार कर शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया है।
लोक निर्माण विभाग ने चोटिया-चिरमिरी मार्ग के उन्नयन और नवीनीकरण में अमानक स्तर का कार्य एवं गुणवत्ता के मापदण्डों का पालन किए बिना ही डामरीकरण कराए जाने पर कोरबा संभाग के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता ए.के. वर्मा और कोरबा उप संभाग के अनुविभागीय अधिकारी आर.एन. दुबे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शासन द्वारा दोनों अधिकारियों को जारी नोटिस में कहा गया है कि कार्यस्थल के निरीक्षण के दौरान जाँच में डामरीकरण की मोटाई औसतन कम एवं किए गए कार्य का घनत्व भी कम पाया गया है। दोनों अधिकारियों द्वारा कार्य अमानक स्तर का एवं गुणवत्ता के मापदण्डों का पालन किए बिना ही डामरीकरण कराकर अपने अधिकार का दुरूपयोग कर अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में अनियमितता बरती गई है।
दोनों अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्यों में लापरवाही बरती गई है जो उनके कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही, उदासीनता एवं स्वेच्छाचारिता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है। शासन ने इसे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के अंतर्गत गंभीर कदाचार मानते हुए दोनों अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्हें नोटिस प्राप्ति के सात दिनों की समयावधि में अपना प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने को कहा गया है। निर्धारित समयावधि में प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं होने पर नियमानुसार एकपक्षीय कार्यवाही की जाएगी।