सीजी क्रांति/खैरागढ़। जिला केसीजी कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। तीन दिनों से मुझे न्याय चाहिए का तख्ती लगाकर कलेक्टोरेट बिल्डिंग के सामने बैठी महिला झामन बाई की फरियाद नहीं सुनी गई। कलेक्टर ने उनसे मुलाकात भी नहीं की! लेकिन शुक्रवार को शबरी का मोहन फिल्म की शूटिंग में कलेक्टर श्री सोनकर ने घंटों बिता दिए। लोगों में यह चर्चा है कि शूटिंग में कलेक्टर की घंटों मौजूदगी का क्या औचित्य ? जब उनकी चौखट में नवागांवघाट की झामन बाई आर्थिक सहायता की मांग लेकर भूख हड़ताल पर बैठी है। ऐसे में आम नागरिक को नजरअंदाज कर शूटिंग कार्यक्रम में उनकी घंटों उपस्थिति लोगों में कौतूहल का विषय है। हो सकता है शूटिंग कार्यक्रम में कलेक्टर की उपस्थिति उनकी प्रशासनिक जिम्मेदारी हो! लेकिन यह स्थिति झामन बाई या किसी भी आम नागरिक के लिए भी तो है।
बताया जा रहा है कि नवागांवघाट की निवासी झामन बाई विधवा है। उसके चार बच्चे है।!आबादी भूमि में महिला ने मकान बनाया था। जिसे ग्राम पंचायत ने तोड़ दिया। महिला ने पंचायत के बलपूर्वक मकान तोड़ने का विरोध किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से आर्थिक सहायता मांगा। सीएम सचिवालय कलेक्टर को आर्थिक सहायता के लिए पत्र भी जारी किया गया। लेकिन झामन बाई को कोई लाभ नहीं मिला। लिहाजा झामन ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कलेक्टोरेट के सामने धरने पर बैठ गई है। वह अपनी मांग पर अड़ी हुई है। इधर कलेक्टोरेट के सामने बैठी महिला झामन बाई को देखने लोगों की भीड़ बढ़ रही है। मुझे न्याय चाहिए का बोर्ड लेकर बैठी झामन बाई लोगों के बीच आकर्षण, जिज्ञासा का विषय बन गई है। वह लोगों की सहानुभूति बटोर रही है।
इधर कलेक्टोरेट के सामने बैठी महिला की वजह से जिला प्रशासन की किरकिरी हो रही है। प्रशासन त्वरित ठोस निर्णय लेने की बजाय अनिर्णय की स्थिति में है। फिलहाल महिला झामन बाई की तबियत खराब है। वह अस्पताल में भर्ती है। सवाल यह है कि झामन बाई की मांग वाजिब है या गैरवाजिब है, इसका पता तब लगेगा जब प्रशासन उसकी मांगों को ध्यानपूर्वक सुनकर उस पर ठोस जांच व कार्रवाई करेगा। जिला प्रशासन झामन बाई मामले में जितना देर करेगा, झामन बाई चर्चा में आकर सहानुभूमि बटोर लेगी वहीं प्रशासन की छवि पर अविश्वास की भावना बढ़ेगी!