0 फिल्मों के उत्तेजित गानों ने गिराई गरबा की गरिमा
सीजी क्रांति/खैरागढ़। फतेह मैदान में तीन दिवसीय गरबा का मुख्य आयोजन भीड़ के लिहाज से सफल रहा। हजारों लोग जहां गरबा के गीतों में झूमे। वहीं फिल्मों के उत्तेजक गानों ने गरबा की गरीमा भी गिराई। गरबा जैसी पत्रिव और धार्मिक आयोजन में जवानी जाने मान, हंसीन दिलरूबा, बसपन का प्यार, पुष्पा फिल्म की ओ सामी-सामी, आंख मारे…..ओ लड़की आंख मारे जैसे फिल्मी कामुक गानें और धून पर युवाओं ने जमकर ठुमके लगाए।
दिलचस्प बात यह है कि मंच पर बैठकर नेता और प्रशासनिक अफसर भी इस विकृत संस्कृति को मौन सहमति देते रहे। वहीं हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे अन्य हिंदू संगठन हर बार की तरह इस बार भी सोशल मीडिया और बयानों में ही सुर्खियां बटोरने तक ही सीमित रहे।
शिक्षकों व अभिभावकों के सामने कामुक फिल्मी गानों पर लगाए ठुमके
फतेह मैदान के मुख्य गरबा आयोजन में नगर के स्कूलों और कॉलेजों से भी स्टुडेंट्स को बुलाया गया था। बच्चों की टोली के साथ कई अभिभावक और शिक्षक भी मौजूद रहे। इस बीच डीजे में लड़की आंखे मारे, जवानी जाने मन हंसीन दिलरूबा जैसे फिल्मी गानों पर बच्चों ने जमकर ठुमके लगाए।
गुजराती समाज के लोगों ने जताया दुख
नगर में गुजराती समाज के चंद परिवार ही है। उन्होंने गरबा में फूहड़ गानों को लेकर नाराजगी और दुख व्यक्त किया। खासकर महिलाओं ने कहा कि गुजरात में गरबा देवी आराधाना का पर्व है। गरबा कर देवी मां की भक्ति में झूमते हैं। लेकिन यहां तो फिल्मों के फूहड़ गानों ने गरबा की गरिमा गिराने का काम किया है। महानगरों की तर्ज पर खैरागढ़ जैसे कस्बाई क्षेत्र में भी गरबा के नाम पर फूहडत गलत परंपरा की शुरूआत है।
डीजे का साउंड और फिल्मी गाने बॉडी में उत्तेजक हार्मोंस क्रिएट करता है, जो वासना की ओर ले जाता है न कि भक्ति की ओर..
डीजे का हाई फ्रिक्वेंसी साउंड और उस पर फिल्मों के कामुक गाने बॉडी में उत्तेजक हार्मोंस क्रिएट करता है, जो वासना की ओर ले जाता है न कि भक्ति की ओर। भक्ति गीतों की वाइस फ्रिक्वेंसी मध्यम होती है। शब्द और भाव मन को शांत करने वाली होती है। यही वजह है कि विदेशों में भीड़ और शोर एक साथ होने पर उसे उपद्रव के कैटगरी में रखा गया है।
फिल्मी गीत चले तो विधायक समेत नगर के नेता और प्रबुद्ध लोग भी मंच पर मौन बैठे थे
बता दें कि गरबा में जब जवानी जाने मन गाना चल रहा था तब क्षेत्र की विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा समेत क्षेत्र अन्य नेता जिसमें कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों के नेता समेत प्रबुद्ध कहे जाने वाले लोग भी मौजूद थे। यह स्थिति तीनों दिन बनी रही। गरबा के आखरी दिन मंच पर प्रमुख रूप से मंडी अध्यक्ष दशमत जंघेल, नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा, रज्जाक खान, ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष आकाशदीप सिंह, प. मीडिर झा समेत पालिका के पार्षद और एल्डरमेन तक मौजूद थे। जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
विरोध होने पर हिंदू नेता अनमनाते रहे, रज्जाक खान ने किया फिल्मी गीतों का विरोध
गरबा के दौरान फिल्मी और उत्तेजीत गीतों का जब नगर के आम नागरिक महेश बंजारे ने विरोध जताया। तब मंच पर मौजूद लोगों ने फिल्मी गानों पर मौखिक आपत्ति तो जताई लेकिन खुलकर किसी ने विरोध नहीं किया। इस बीच नगर पालिका के उपाध्यक्ष रज्जाक खान ने आयोजन की व्यवस्था संभाल रहे सदस्यों पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि धार्मिक गीतों पर फिल्मी गानों को तत्काल बंद कराए। तब डीजे संचालक को समझाईश दी गई कि वे सिर्फ गरबा के गाने ही बजाए। हालांकि इस बीच डीजे संचालकों ने कहा कि गाने ट्रेक में बज रहे हैं। वे गानों को बदल नहीं सकते। जबकि होना यह था कि आयोजन समिति को गरबा के गाने डाउनलोड कर डीजे संचालकों को देने थे। ताकि बीच-बीच में फिल्में गाने न बज पाए।