सीजीक्रांति/ खैरागढ़। महज सौंदर्यीकरण के लिए हिंदू आस्था को ताक पर रखकर भगवान शिवजी की प्रतिमा को बगैर प्राण—प्रतिष्ठा के खुले में रखे जाने के विरोध में हिंदू संगठन अब सामने आने लगे हैं। हिंदू समाज इसे आस्था से खिलवाड़ मान रहे हैं। शिवजी की प्रतिमा को खुले आसमान के नीचे रख दिया गया है। ठंड—धूप—धूल और बारिश की मार झेलते शिवजी की प्रतिमा अब रंगत खोने लगी है।
स्टेट हाईवे स्थित जैन मंदिर के सामने इंदिरा कला संगीत विवि की बाउडीवॉल से लगी जगह पर करीब 7 साल पहले सौंदर्यीकरण किया गया था। लाखों रूपए खर्च कर रंग—रौगन, पौधारोपण, झरना समेत अन्य प्रतिमाएं एवं नक्काशी की गई थी। इसी तारतम्य में यहां शिवजी की प्रतिमा भी लगाई गई। यह प्रतिमा हु—ब—हू भगवान शिवजी की प्रतिमा की तरह है। यहां शिवजी, सिंह खाल में पदमासन लगाकर ध्यान मुद्रा में बैठे है। उनके हाथ में त्रिशुल है। जटा में चंद्रमा है। गले में नाग है। हाथ में डमरू है। लिहाजा यह शिवजी की प्रतिमा ही है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
सवाल यह उठता है कि तत्कालीन नगर पालिका प्रशासन ने इसे योगी की प्रतिमा समझकर स्थापित किया है या यह जानते हुए स्थापित किया है कि वह भगवान शिवजी की ही प्रतिमा है? यदि प्रतिमा को किसी योगी या मुनि को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया है तो वह कौन से योगी या मुनि है, यह स्पष्ट होना चाहिए। दूसरा यदि उसे भगवान शिवजी की प्रतिमा मानकर स्थापित किया गया है तो हिंदू रिती व पूजा विधान के तहत स्थापित किया जाना चाहिए था।
महज सौंदर्यीकरण के लिए यदि शिवजी की प्रतिमा विराजी गई है तो यह कहीं न कहीं हिंदू आस्था से खिलवाड़ है! इसे लेकर सालों से लोगों के मन में नाराजगी है। जो अब प्रकट होने लगी है। शहर के पुजारी विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने इसे लेकर अपनी आपत्ति और नाराजगी जाहिर की है। हालांकि हैरत की बात यह है कि इतने सालों से शहर के बीच—बीच शिवजी की प्रतिमा को अशोभनीय तरीके से रखा गया है लेकिन किसी ने आपत्ति नहीं जताई।
हिंदू भावनाओं को आहत करने वाली बात है—पं. घनश्याम तिवारी
नगर के प्रतिष्ठित महाराज पं. घनश्याम तिवारी ने कहा कि शिवजी का स्थान शिवालय या देवालय होता है। शिवजी को बगैर प्राण—प्रतिष्ठा के सड़क पर रखकर अपमान किया जा रहा है। इससे हिंदू भावनाएं आहत हो रही है। शिवजी की प्रतिमा खुले में रखी गई है। वहां आसपास लोग गुटखा खाकर थूक रहे हैं। चिड़िया बिट कर रही है। इस तरह से अशोभनीय तरीके से भगवान की प्रतिमा को रखा जाना असहनीय है। हमारे जनप्रतिनिधि और प्रशासन इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं। यह शर्मनाक है। मुझे व्यक्तिगत रूप से काफी पीड़ा होती है।
भगवान शिव हमारे आराध्य है, सौंदर्यीकरण की वस्तु नहीं —रामकृष्ण शास्त्री
खैरागढ़ बजरंग दल के प्रखंड संयोजक रामकृष्ण शस्त्री ने कहा, शिवजी हमारे भगवान हैं। वहां लगी प्रतिमा की भले प्राण—प्रतिष्ठा नहीं हुई है। लेकिन शिवजी सौंदर्यीकरण की चीज नहीं है। उनसे हिंदू समाज व सनातन धर्मावंलबियां की आस्था जुड़ी है। उनकी प्रतिमा को प्रतीकात्मक रूप से लगाना गलत है। देव स्थान स्वच्छ व शुद्ध होना चाहिए। हम पालिका प्रशासन से मांग करेंगे कि या तो वहां शिवजी की प्रतिमा की प्राण—प्रतिष्ठा कर पूजा—पाठ की व्यवस्था करें या प्राण—प्रतिष्ठा नहीं कर सकते तो प्रतिमा को हिंदू—रिती अनुसार विसर्जित करें। या फिर उस स्थान को हिंदू समाज को सौंप दें ताकि वहां मंदिर बनाकर विधि—विधान से भगवान शिवजी की प्रतिमा का प्राण—प्रतिष्ठा किया जा सके।
शिवजी की प्रतिमा मंदिर में रखे या वहीं मंदिर बनाए —राजीव चंद्राकर
विश्व हिंदू परिषद खैरागढ़ के संयोजक राजीव चंद्राकर ने कहा कि भगवान की प्रतिमा को इस तरह खुले में सार्वजनिक जगह पर बगैर प्राण—प्रतिष्ठा रखा जाना भगवान का अपमान है। हिंदू अस्था से खिलवाड़ है। हम इसका विरोध करते हैं साथ ही प्रशासन से मांग करेंगे कि शिवजी की प्रतिमा को मंदिर में रखा जाए या फिर जहां शिवजी की प्रतिमा रखी गई है वहीं मंदिर बनाने की अनुमति दी जाए।