सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा में चुनाव खत्म होने के बाद अब मतगणना तिथि की उलटी गिनती शुरू हो गई है। 3 दिसंबर को प्रत्याशियों के किस्मत का पिटारा खुलेगा। दोपहर तक स्थिति काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। इस बीच आम जनमानस में भी जीत-हार की अटकले शुरू हो चुकी है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस की यशोदा वर्मा और भाजपा से विक्रांत सिंह के बीच ही है।
शुरूआती दौर में भाजपा प्रत्याशी विक्रांत सिंह काफी आगे नजर आए लेकिन कांग्रेस से यशोदा वर्मा की घोषणा के बाद माहौल में तब्दीली आई। चुनावी रणनीति और प्रबंधन के सामने व्यक्तित्व सिमटता चला गया। पैसा और प्रभाव का जो रंग जनता देखना चाहती थी, वह फीका साबित हो गया। विकास कार्यों की गिनती पीछे छुटती चली गई। हालांकि एक बड़े वर्ग के जेहन में यह सारी बातें रहीं।
राजनीतिक दल खुद अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहा है। वहीं दूसरी ओर आम जनता खामोश है या जीत-हार पर डिप्लोमेटिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। यानी जीत किसकी होगी। इसका सही रूझान मतगणना शुरू होने के बाद ही आएगा।
हालांकि ऐसा पहली दफे देखा जा रहा है कि राजनीतिक घोषणाओं को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। घोषणाओं का असर हुआ तो वोट उन्ही की झोली में गिरेगी जिसकी घोषणा में दम होगा या जनता खुद को लाभान्वित होते महसूस कर रही होगी।
खैरागढ़ में विकास के मुद्दे गौण नजर आए। व्यक्तित्व की तुलनात्मक अध्ययन कर उसके प्रभाव और निष्प्रभाव पर चिंतन हुआ। चुनावी रणनीति में दोनों ही दल सामानांतर चलते प्रतीत हुए।
जनबल और धनबल को लेकर भी 19-20 का टक्कर रहा। धनबल पर कागजी आंकड़ों पर जरूर अंतर आ सकता है। लेकिन व्यावहारिक धरातल पर मुकाबला 18-20 या 19-20 माना जा रहा है। वोटों के समीकरण शहर, ग्रामीण और वनांचल क्षेत्र के आधार पर जोड़ें और घटाए जा रहे हैं। वहीं जातिवाद और परिवारवाद पर भी वोटों का विभाजन होंगे ऐसा आंकलन किया जा रहा है।